MP Cop Gossip: फरारी में जजमेंट, थाने को सुध ही नहीं

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MP Cop Gossip: महिला अपराधों पर निगरानी करने वाले शाखा की पोल खोलती यह कड़वी सच्चाई, अपील में भी निचली अदालत की सजा बरकरार

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग काफी बड़ा है। उसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कई बातें मीडिया के सामने आ जाती है। लेकिन, बहुत सी बातें दबी रह जाती है। ऐसे ही बातों का नियमित साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद किसी व्यवस्था को कम—ज्यादा आंकना नहीं है। बल्कि यह अहसास कराना है कि बातें छुपाए नहीं छुप सकती।

सुई चुभने पर थाने को सूचना देने वाला अस्पताल ने चुप्पी साधी

पिछले दिनों एक थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति ने फांसी लगाई थी। वह छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। घर में उसे पत्नी से फंदे से काटकर केंद्र सरकार के अधीन एक अस्पताल पहुंचाया। इस अस्पताल की खासियत यह है कि वह सुई चुभने पर भी थानों को सूचना दे देता है। लेकिन, इतनी बड़ी घटना को गटक गया। यानि साफ है कि केंद्र सरकार के अधीन इस अस्पताल के भीतर कुछ जगहों पर भ्रष्टाचार की दीमक लगना शुरु हो गई है। अगर ऐसा चला तो यहां की अव्यवस्थाओं के चलते निजी अस्पतालों को फायदे पहुंचने लगेंगे।

यह तो बहुत ही ज्यादा हद है

शहर के एक थाने में 2011 में दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसकी चार्जशीट 2012 में जमा हो गई। इस मामले में तमाम दलील सुनने के बाद दिसंबर, 2022 में आरोपियों को एक—एक साल की सजा भी हो गई। इस सजा के खिलाफ बड़ी अदालत में अर्जी लगाई गई। वहीं हाईकोर्ट में एफआईआर को निरस्त करने के लिए भी आवेदन लगाया गया था। हाईकोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया। आरोपियों की अपील पर बड़ी अदालत ने सुनवाई की और 03 जुलाई, 2024 को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। इसके बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो सकी। वहीं अदालत में दलील पेश करने के लिए और सजा से बचने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने पर नया जालसाजी का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया। आलम यह है कि इस मामले के आरोपी सजायाफ्ता होने के बावजूद कठघरे के पीछे नहीं पहुंच सके हैं। यह उस राजधानी के हालात है जहां महिला अधिकारों को लेकर ज्यादा चिंता जताते हुए नियम बनाने वाले अफसर बैठे रहते हैं।

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