MP PHQ News: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में किए गए हैं 177 बदलाव

Share

MP PHQ News: यदि कोई व्यक्ति विकलांग अथवा वृद्ध है तो थाना पुलिस को उसकी गिरफ्तारी से पूर्व वरिष्ठ अफसरों से लेना होगी अनुमति, पुलिस मुख्यालय की तरफ से आयोजित प्रशिक्षण सत्र में दी गई जानकारी

MP PHQ News
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता विजय बंसल को स्मृति चिन्ह देते हुए एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव। चित्र पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी।

भोपाल। देश में आईपीसी की बजाय भारतीय न्याय संहिता समेत दो अन्य आपराधिक कानूनों को लेकर बहस चल रही है। इस दौरान कई जगहों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चल रहे हैं। इसी कड़ी में पुलिस मुख्यालय (MP PHQ News) की अगुवाई में महिला सुरक्षा शाखा ने एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र रखा गया। इसमें कई विभागों और थानों के कर्मचारियों ने भाग लिया। जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता(BNS), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू करने के पीछे वजह बताई गई।

यह पता होना चाहिए कि नए कानूनों में क्या परिवर्तन हुए

पुलिस मुख्यालय (PHQ) की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कार्यक्रम पुलिस परिवहन शोध संस्थान में आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि एडीजी महिला सुरक्षा शाखा प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव (ADG Pragya Richa Shrivastav) थी। मुख्य वक्ता अजाक शाखा के विधि अधिकारी विजय बंसल थे। एडीजी महिला सुरक्षा शाखा ने कहा कि हम जब भी कोई प्रकरण दर्ज करें या नोटशीट तैयार करें तो हमें पता होना कि नए कानूनों के अनुसार किस तरह की प्रक्रिया अपनानी है। इसके अलावा किन बदली हुई धाराओं और कार्यप्रणाली का प्रयोग करना है। हमें यह पता होना चाहिए कि नए कानूनों में क्या परिवर्तन हुए हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पुलिसकर्मियों को नए कानूनों के बारे में जानकारी प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा। विजय बंसल (Vijay Bansal) ने बताया कि आईपीसी में 511 धाराएं थी। जिन्हें भारतीय न्याय संहिता में घटाकर 358 कर दिया गया है। इसके अलावा सभी परिभाषाएं एक ही जगह लिखी गई हैं। बीएनएस में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं और 41 अपराधों में सज़ा की सीमा बढ़ाई गई है। बीएनएस में 62 मुख्य बदलाव किए गए हैं। वहीं इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले सभी अपराधों को अध्याय-5 में स्थान दिया गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व में सीआरपीसी में 484 सेक्शन थे, जिन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में बढ़ाकर 531 कर दिया गया है।

बच्चों को भी स्थान दिया गया है

विजय बंसल ने बताया बीएनएसएस में कुल 177 प्रावधान बदले गए हैं। इसमें 9 नई धाराओं के साथ-साथ 39 नई उपधाराएं भी जोड़ी गई हैं। कुल 14 धाराएं निरस्त और हटा दी गई हैं। इसी प्रकार पहले एविडेंस एक्ट में 167 सेक्शन थे, जिन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम में बढ़ाकर 170 कर दिया गया है। दो दर्जन सेक्शन में बदलाव किया गया है। मॉब लिंचिंग को परिभाषित करते हुए इसके लिए भी कड़े कानून बनाए गए हैं। अब इसके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास तक की सजा तय की गई है। अंग्रेजों ने अपने शासन की रक्षा के लिए बनाए राजद्रोह के कानून को पूर्णत: समाप्त करते हुए ‘भारत सरकार’ की जगह ‘भारत’ की एकता, अखंडता व संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाले अपराध को देशद्रोह घोषित किया गया है। देश के बाहर भी भारत की किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और बम विस्फोट करने को आतंकवादी कृत्य माना जाएगा। नए कानून में आतंकवाद को विधिवत परिभाषित करते हुए गंभीर अपराध घोषित कर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं दस्तावेज के रूप में डिजिटल व इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को भी शामिल किया गया है। तलाशी व जब्ती की प्रक्रिया की वीडियो-ऑडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की गई है। उन्होंने बताया कि 7 साल से अधिक सज़ा के मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य एकत्रीकरण के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञ का अपराध स्थल पर दौरा अनिवार्य है। नई परिभाषा के अनुसार धारा 2(10) के अंतर्गत “लिंग” में अब महिला व पुरुष के साथ ही ट्रांसजेंडर को स्थान दिया गया है वही धारा 2(3) के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को “अवयस्क” की श्रेणी में आएंगे। नए कानून में पहली बार झपटमारी (छिनैती) को शामिल करते हुए गंभीर अपराध की श्रेणी में रखकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। पहली बार अपराध करने पर कई धाराओं के माध्यम से सामुदायिक सेवा और परामर्श जैसी सजा का प्रावधान करके दंड के बदले न्याय पर जोर दिया गया है, वहीं 3 वर्ष तक की सजा वाले अपराधों में विकलांग और 60 वर्ष तक की आयु वाले आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की पूर्व अनुमति आवश्यक कर दी गई है।

खबर के लिए ऐसे जुड़े

MP PHQ News
भरोसेमंद सटीक जानकारी देने वाली न्यूज वेबसाइट

हमारी कोशिश है कि शोध परक खबरों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए कई विषयों पर कार्य जारी है। हम आपसे अपील करते हैं कि हमारी मुहिम को आवाज देने के लिए आपका साथ जरुरी है। हमारे www.thecrimeinfo.com के फेसबुक पेज और यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। आप हमारे व्हाट्स एप्प न्यूज सेक्शन से जुड़ना चाहते हैं या फिर कोई घटना या समाचार की जानकारी देना चाहते हैं तो मोबाइल नंबर 7898656291 पर संपर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें:   Bhopal News: शादीशुदा महिला से अभद्रता
Don`t copy text!