नई दिल्ली। पिछले दिनों एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान पर्वतारोहियों की मौत की खबरें सुर्खियों में रही थीं। इन पर्वतारोहियों के जिंदा बचने की आस छूट चुकी थी लेकिन लाश बरामद नहीं हो सकी थी। बीती 12 जून से इनके शवों की तलाश की जा रही थी, जो रविवार को पूरी हुई, जिसकी जानकारी सोमवार देर शाम दी गई। उत्तराखंड में नंदा देवी पर्वत की पूर्वी चोटी पर चढ़ाई के दौरान मई से लापता हुए सात विदेशी पर्वतारोहियों के शव एक बचाव दल को मिले हैं।
रविवार सुबह 5800 मीटर की ऊंचाई पर सात पर्वतारोहियों के शव मिले हैं। इनमें एक महिला भी शामिल है। पर्वतारोहियों की तलाश के लिए बचाव दल का गठन किया गया था। इसमें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) व राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के सदस्य शामिल थे।
विजय कुमार जोगडांडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़
बचाव दल को पर्वत चोटी के पश्चिमी क्षेत्र में बर्फ की मोटी परत के बीच ये शव मिले हैं। इनकी अभी पहचान नहीं हो सकी है। बचाव दल का काम अभी जारी है, क्योंकि अभी भी आठ सदस्यी पर्वतारोहियों में से सात के शव मिले हैं। आठवें की तलाश जारी है। इनमें एक भारतीय भी शामिल है, जो चोटी की तरफ जाने के दौरान लापता हो गया था। शवों की तलाश का काम 12 जून से शुरू किया गया। इस मिशन को ऑपरेशन डेयरडेविल नाम दिया गया और भारतीय वायुसेना के हेलीकाप्टर ने इसमें सहयोग किया।
सामने आया एडवेंचर टूरिज्म का खतरनाक पहलू
एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान हुई पर्वतारोहियों की मौत ने अब बेहद प्रचलित हो चुके एडवेंचर टूरिज्म के खतरनाक पहलू को सामने रख दिया है। अब बहुत बड़ी संख्या में ना केवल अनुभवी पर्वतारोही बल्कि पर्यटक और शौकिया ट्रेकिंग करने वाले भी इन दुर्गम इलाकों की यात्राओं पर जाने लगे हैं। इनकी बढ़ती दिलचस्पी का फायदा उठाने के लिए कई टूर कंपनियां ऐसे ट्रेकिंग टूर आयोजित करती हैं जिसमें सुरक्षा और दूसरे जरूरी पहलुओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता।