MP Cop Gossip: एक शहर में दो थानों के अलग—अलग कानून

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MP Cop Gossip: कस्टोडियल डेथ में सारे अफसर हुए मौन लेकिन कस्टडी से फरार हुए तो तुरंत कर दी गई कार्रवाई, गबन के मामले में अफसर का अदम्य साहस

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग काफी बढ़ा है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही बातों का नियमित साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। जिसमें हम उन बातों को बताते हैं जो चर्चा में होती है लेकिन वह मीडिया में स्थान बना नहीं पाते। हमारा मकसद सिर्फ संदेश देना होता है न कि संस्था, व्यक्ति अथवा पद को कम—ज्यादा आंकना।

पूरा अमला झोंक दिया

पिछले दिनों शहर में दो संगीन अपराध पुलिस विभाग से जुड़े हुए सामने आए। पहला मामला कोलार रोड थाना क्षेत्र का था। यहां कस्टोडियल डे​थ का आरोप लगा। जिसमें न्यायिक जांच अभी चल रही है। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली जब से शुरु हुई तब से लेकर अब तक तीन कस्टोडियल डेथ के मामले हो चुके हैं। ताजा मामले में पूर्व की तरह कोई अब तक कार्रवाई नहीं की गई। इधर, कस्टडी से फरार होने के एक मामले में पुलिस अधिकारियों ने तुरंत एक्शन लेते हुए कर्मचारियों को घर बैठा दिया। इस कारण अब महकमे में यह चर्चा चल पड़ी है कि एक शहर में दो तरह के कानून।

अधिकारी का अदम्य साहस चर्चा का विषय बना

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शहर के एक थाने में गबन का मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मुकदमा पहले जिला न्यायालय फिर वहां से हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने गबन की एफआईआर को गलत पाया। इसके बाद पुलिस थाने को आदेश दिए कि वह एफआईआर को निरस्त करे। अब सवाल यह खड़ा होता है कि एफआईआर दर्ज करने के आदेश किसने दिया। दूसरा प्रकरण दर्ज करते वक्त सावधानियां को नजरअंदाज किसके कहने पर किया गया। अब प्रकरण को जब खारिज करने के आदेश हुए हैं तो एक अधिकारी उस प्रकरण को फिर जीवित करने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दूसरी कोर्ट में ले जाने के लिए अभियोजन अधिकारियों से परामर्श कर रहे हैं। यह निर्णय लेने वाले कोई छोटे—मोटे कर्मचारी नहीं हैं। वे न्यायिक व्यवस्था को चुनौती देने वाले अफसर हैं। अब देखना यह है कि साहब को फटकार पड़ती है या उन्हें किनारे किया जाता है।

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