भाजपा के एक पूर्व मंत्री का करीबी नहीं मिला तो दोबारा नोटिस किया गया जारी
भोपाल। प्रदेश के चर्चित ई-टेंडर घोटाले (E-TENDER SCAM) के मामले में आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (EOW) ने एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने ऑस्मो कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए आफसेद कीमत बदली थी। इसके बदले में उसे मोटी रकम मिली थी। यह रकम बाद में उसने लौटाई भी थी।
गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए डीजी ईओडब्ल्यू केएन तिवारी ने बताया कि आरोपी मनीष खरे को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी भोपाल के चूना भट्टी इलाके में अमलतास-फेस-2 में रहता है। मनीष आरपीजी रिको कंपनी में सर्विस इंजीनियर का काम करता था। उसने 1996 में आटोमिशन का काम भोपाल से शुरू किया था। वह अस्पतालों में लगने वाले उपकरणों को बनाने का काम जानता है। मनीष ने माइल स्टोन बिल्डर्स एंड डेव्हलपर, माइल स्टोन इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट और माइल स्टोन मार्केट एवं डेव्हलपर नाम से तीन कंपनियां बनाई थी। यह कंपनियां 2015 में बनाई गई थी। इसके बाद वह (E-TENDER SCAM) ऑस्मो कंपनी के तीन संचालकों के संपर्क में आया। मनीष ने अपनी शिक्षा कानपुर के आईआईटी संस्थान से की है। इसलिए वह कई बातों में भी माहिर हैं।
ऐसे किया घोटाला
ईओडब्ल्यू को प्राथमिक जांच में मालूम हुआ है कि मनीष खरे पहले सोरठिया की (E-TENDER SCAM) वेलजी रत्न कंपनी के साथ काम करता था। इसलिए उसने ई-टेंडर (E-TENDER SCAM) में फर्जीवाड़ा करने के लिए उसको भी शामिल किया। मनीष ने 2018 में निकले जल संसाधन विभाग के टेंडर में गड़बड़ी की। उसने आस्मो कंपनी के साथ मिलकर निविदा की रकम (बिड वैल्यू) को घटा दिया था। यह टेंडर 116 करोड़ रुपए का था। जिसे बदलकर 105 करोड़ रुपए कर दिया गया। पुराने टेंडर रेट में वेल कंपनी चौथे पर थी जो रकम बदलने के बाद एक नम्बर पर आ गई थी। इस काम के बदले में मनीष (E-TENDER SCAM) को लगभग सवा एक करोड़ रुपए मिले थे। लेकिन, जुलाई, 2018 में टेंडर निरस्त हुए तो मनीष को यह रकम वापस लौटाना पड़ी थी।
नहीं मिल रहा मंत्री का करीबी
ईओडब्ल्यू को इस मामले में (E-TENDER SCAM) एक भाजपा नेता के करीबी की भी तलाश है। उसका भी नाम मनीष बताया जा रहा है। उसका निवास इंदौर में हैं जहां वह ईओडब्ल्यू को नहीं मिला है। इस संबंध में ईओडब्ल्यू दो बार नोटिस भेज चुकी है। यदि वह गिरफ्तार होता है तो मामले में राजनीतिक गहमागहमी बढऩे की पूरी संभावना हैं।
क्या है मामला
ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल, 2019 को ई-टेंडरिंग घोटाले (E-TENDER SCAM) के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। इसमें जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 में दर्ज हुई थी। जांच कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम नई दिल्ली से कराई गई। जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सडक़ विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ ई-टेंडरों में गड़बड़ी करना पाया गया था।
कौन है आरोपी
इस मामले में (E-TENDER SCAM) हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैससज़् माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर है। साफ्टवेयर बनाने वाली ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड, एमपी एसईडीसी, एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड और बैगलोर की टीसीएस कंपनी को भी आरोपी बनाया है।
अब तक क्या
ईओडब्ल्यू ने इस मामले (E-TENDER SCAM) में सबसे पहले 11 अप्रैल, 2019 को भोपाल के मानसरोवर में दबिश दी। यहां से तीन आरोपियों विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुवेदज़्ी को हिरासत में लिया। तीनों आरोपियों को 12 अप्रैल को अदालत में पेश करके 15 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। इसी बीच 14 अप्रैल को नंदकुमार को गिरफ्तार किया गया।जिसे ओस्मो कंपनी के तीनों आरोपियों के साथ 15 अप्रैल को जिला अदालत में न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे की अदालत में पेश किया गया।