Bhopal crime : पुलिस का कारनामा- नाबालिग को बनाया हार्डकोर क्रिमिनल, भेज दिया जेल

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Bhopal Crimeजहांगीराबाद के अलावा पांच अन्य लूट की वारदातें उड़ेल दी, एक भी मोबाइल बरामद करने में नाकाम रही पुलिस

भोपाल। राजधानी में अपराध (Bhopal crime) को रोकने के लिए पुलिस का जो पैटर्न है वह उसके लिए ही घातक साबित हो सकता है। बात हो रही है जहांगीराबाद पुलिस के 20 मई को किए गए एक खुलासे की। इस खुलासे में पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। पुलिस ने जिन दो कथित लुटेरों को दबोचने का दावा किया है उनमें से एक नाबालिग है। कथित नाबालिग लुटेरे के परिवार ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर विरोध जताया है।

क्या है मामला
जहांगीराबाद इलाके में 18 मई को मछली घर तिराहे के नजदीक फिरदौस के साथ लूट की (Bhopal crime) वारदात हुई थी। घटना के वक्त उसका पति फिरदौस भी साथ था। लुटेरे पर्स छीनकर भाग गए थे। यह मामला 20 मई को पुलिस ने थाने में दर्ज किया। जिसके अगले दिन पुलिस ने दो युवकों को दबोच लिया था। एक आरोपी सोनू उर्फ सोहन बाथम था। दूसरा साथी उसका दोस्त नाबालिग था। मामले की जांच और धरपकड़ में एसआई आरके सिंह, रईस अहमद खान, एएसआई अशोक शर्मा समेत अन्य कर्मचारी शामिल थे।

झूठ बोलकर घर से उठाया
बाल अपचारी के परिवार ने बताया कि जहांगीराबाद थाने की आधा दर्जन पुलिस 19 मई को उनके घर आई थी। सभी सादी वर्दी में आए थे। वे बेटे को यह बोलकर ले गए कि उसकी बाइक से दुर्घटना (Bhopal crime) हो गई है। इसके बाद उसे थाने में ले जाकर बेरहमी से पीटा गया। परिवार ने बताया कि गिरफ्तारी से लेकर जेल दाखिल करने तक उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। समाचार पत्रों में खबर छपने के बाद हमें वास्तविकता का पता चला।

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मेरा बेटा नाबालिग
कथित नाबालिग लुटेरे के परिवार ने बताया कि वह कक्षा नौंवी का छात्र हैं। उसकी उम्र 17 साल चार महीने हैं। हमने पुलिस के लगाए गए आरोपों को स्वीकार लिया है। लेकिन, उसे गंभीर अपराधियों के बीच जेल में ठूंसकर उसे सुधरने की बजाय पुलिस विभाग (Bhopal crime) उसे बिगाडऩा चाहता है। परिवार बजरिया स्टेशन इलाके में रहता है। पिता ने बताया कि वह बेटे को भोपाल से दूर बोर्डिंग स्कूल में दाखिला करना चाहते थे। उससे पहले पुलिस ने उसे कुख्यात लुटेरा (Bhopal crime) बताकर समाज के सामने पेश कर दिया।

पुलिस की मेहनत “शुभ” के लिए
परिवार का आरोप है कि पुलिस ने कोई मेहनत नहीं की। वह उसे बकायदा घर से उठाकर ले गई। वहीं जिस दिन वारदात होने की जानकारी पुलिस दे रही है, उस दिन उनके घर में एक दिवंगत पुलिसकर्मी का बेटा उसे घर से ले गया था। लेकिन, पुलिस ने उसे छुआ तक नहीं। इधर, जिस बाइक से वारदात (Bhopal crime) होने की जानकारी पुलिस को मिली है उसका नंबर वारदात के पीडि़त ने पुलिस को दिया था।

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बहन ने लगाई थी फांसी
नाबालिग के माता-पिता पर एकदम से दोहरा दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। दरअसल, उनकी बड़ी बेटी ने ऐशबाग इलाके में फांसी (Bhopal crime) लगाकर खुदकुशी कर ली थी। बेटी मॉडलिंग का काम करती थी। इस मामले को अभी आठ महीना भी नहीं हुआ है। परिवार इसी सदमे में अभी तक है। इसलिए वह बेटे की परवरिश पर ध्यान नहीं दे सके। परिवार का कहना है कि वह बेटे को सुधार लेंगे। लेकिन, पुलिस ने उसे कुख्यात लुटेरा (Bhopal crime) बनाने के लिए शहर के कई केस उस पर थोंप दिए हैं। हमारी तरफ से पेश किए गए आधार कार्ड समेत अन्य सरकारी दस्तावेजों को जहांगीराबाद थाना पुलिस ने अमान्य कर दिया।

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नाबालिगों के यह हैं अधिकार
ऐसे मामले जिनमें आरोपी नाबालिग हैं तो उनकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती। उन्हें हथकड़ी पहनाया नहीं जा सकता। लेकिन, पुलिस ने उनके साथ खड़े होकर तस्वीरें भी खिचाई। इसके अलावा बाल अपचारी (Bhopal crime) को जिला अदालत की बजाय बाल न्यायालय में पेश किया जाता है। वह तब तक बाल न्यायालय में रहता है जब तक वह बालिग न हो जाए। लेकिन, जहांगीराबाद थाना पुलिस ने बालकों के संरक्षण के लिए बनाए गए तमाम कानूनों की अवहेलना की है।

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अधिकारी बोले मैं पता करा लेता हूं
इस मामले में एएसपी अखिल पटेल से पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई। उन्होंने ठोस प्रतिक्रिया देने की बजाय बेहद आसान शब्दों में, मैं पता लगा लेता हूं कहकर मामले को बेहद हल्का करना चाहा। इधर, बालकों के संरक्षण अधिकार समिति (CWC) के सदस्य कृपा शंकर चौबे का कहना है कि जेजे एक्ट में नियमों की अवहेलना करने वाले पर भी कार्रवाई का प्रावधान है। पुलिस मार्कशीट या फिर आधार कार्ड के आधार पर गिरफ्तारी दर्शाती है। यह विषय जांच का है कि क्या इन बातों का ध्यान रखा गया अथवा नहीं। पीडि़त परिवार चाहे तो इस संबंध में सीडब्ल्यूसी कमेटी के समक्ष अपना आवेदन पेश करके अपील कर सकता है।

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