Netaji Kahin: शुरूआत के चरणों में अपने इरादे बताने में कामयाब हो गया विपक्ष, जनता का मिला साथ तो जनादेश न बन जाए, चूक और चुनौती की राजनीति पर बेबाक टिप्पणी
भोपाल। डाटा और आटा के जरिए जानिए कि सेहत और सिस्टम देश में इस वक्त कैसे चल रहा है। डाटा बोले तो इंटरनेट सेवा। जिसकी कंपनिया अलग-अलग है। जैसे जियो, एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, बीएसएनएल वगैरह-वगैरह। मुझे पता है कि (Netaji Kahin) इसमें से कुछ बंद हो गई तो कुछ बंद होने की कगार पर है। बहस इस विषय पर करने भी नहीं आया। जिस तरह से इंटरनेट की कंपनी है उसी तरह आटा है। शरबती, लोकमन, अन्नापूर्णा, मालवा शक्ति वगैरह-वगैरह। दोनों क्षेत्रों में इस वक्त शुद्धता और पारदर्शिता की बहुत ज्यादा कमी है। शरबति शुद्ध और पोष्टिक है इसलिए महंगा है पर सरकारों को तो सस्ता माल चाहिए। उसी तरह सस्ते का लालच देकर जियो ने टेलीकाॅम सेक्टर को मुट्ठी में कर लिया।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह बातें कपोल है। इस सवाल पर मेरा सिर्फ इतना निवेदन है कि आप पिछले कुछ साल के हुए सारे आयोजनों को याद कर लीजिए। संसद भवन में सड़क पर सामान्य व्यक्ति की तरह हठ करते बैठ जाना। ईडी के नोटिस पर पैदल चल पड़ना। उन्होंने हर मुद्दे पर प्रचार पाने की तकनीक विकसित कर ली। इसी तकनीक के जरिए राहुल गांधी जमकर प्रचार पा रहे हैं। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका मैन स्ट्रीम मीडिया की बजाय इंटरनेट बेस्ड प्लेटफाॅर्म जैसे यू-ट्यूबर, न्यूज वेबसाइट, पोडा कास्ट की मदद से हर युवा और मध्यम वर्ग में पहुंचा चुके हैं। मतलब उनकी बातें और आंदोलन की वजह जनता को पता हो चुकी है। राहुल गांधी अब बकायदा कुछ गलती करके अपने इवेंट को इंगेजमेंट में कन्वर्ट कर रहे हैं। मसलन उनकी भारत जोड़ो यात्रा भाजपा के लिहाज से पंचक काल या कहे पितृपक्ष और कड़वे दिनों में शुरू हुई है। क्या वह भविष्य 2024 में होने वाले चुनाव में मिठाई में तब्दील करेगी।
यह सवाल तो भविष्य के गर्त में हैं लेकिन जो मदद भाजपा या उनके नेता कर रहे हैं वह जरूर राहुल गांधी को जल्द चेहरा बना देंगे। राहुल गांधी की टीशर्ट को लेकर तूल देना भाजपा को महंगा पड़ गया। ट्रोल आर्मी ने एजेंडा बनाकर चलाया। लेकिन, वह राहुल गांधी की विछाई बिसात में एक प्यादे को मारने के साथ-साथ राजा को चैक दे गया। नतीजतन, कांग्रेस का इवेंट पूरे भारत में भाजपा के कार्यकर्ता ट्रोल कर रहे थे। भाजपा के ही कार्यकर्ता यह बता रहे थे कि राहुल गांधी ने किस मौके के लिए इतनी महंगी टीशर्ट पहनी। इसे कहते हैं पटखनी देना। अभी राहुल गांधी की यात्रा के दिन शुरू ही हुए हैं। इसके काफी दूरगामी मायने हैं। सत्तापक्ष ने इसको पुराने राहुल बाबा की तर्ज पर लिया तो दिल्ली दरबार को कमंडल लेकर गिरि में योग साधना करना पड़ सकती है। बाकी अंत में आपसे गुजारिश है पढ़ने की आदत डाले। देखने की बजाय ज्यादा कारगर होता है। फिर होगी बात तब तक के लिए जोड़ लिया मैंने अपना हाथ।
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