Bhopal Loan Fraud: फर्जी तरीके से सिंडिकेट बैंक से लोन हुआ जारी 

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Bhopal Loan Fraud: बैंक मैनेजर को छोड़कर फर्म से जुड़े व्यक्तियों को सीधे बनाया गया आरोपी, मुख्यमंत्री कार्यालय में लोन के लिए लगाया था आवेदन, जिसके बाद फुटपाथ के फुटवियर कारोबारी को कलेक्टर—कमिश्नर ने सिर्फ दिया था ज्ञान

Bhopal Loan Fraud
ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। सिंडिकेट बैंक से भुगतान हुए एक 7 लाख रुपए के लोन के मामले में एफआईआर हुई है। इस प्रकरण में बैंक के मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध है। हालांकि पुलिस ने उसको अभी सीधे आरोपी नहीं बनाया है। यह घटना भोपाल (Bhopal Loan Fraud) सिटी के हनुमानगंज थाना क्षेत्र की है। पीड़ित फुटपाथ पर फुटवियर का कारोबार करने वाला व्यक्ति हैं। वह गुमठी बनाने के लिए बैंक में लोन मांगने गया था। इससे पहले वह मुख्यमंत्री निवास से लेकर कई सरकारी दफ्तरों में आवेदन कर चुका था। पीड़ित अशिक्षित है जिसके दस्तावेजों की मदद से यह घोटाला किया गया है।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला

हनुमानगंज थाना पुलिस के अनुसार 28 जुलाई की शाम लगभग पांच बजे 543/22 धारा 420/467/468/120—बी (जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना और साजिश के तहत प्रकरण) दर्ज किया गया है। इस मामले की शिकायत कन्हैयालाल डाबी पिता सोहन लाल डाबी उम्र 45 साल ने दर्ज कराई है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी प्रमोद वर्मा, जमुना प्रसाद चौधरी, मनोज तोमर और अन्य को बनाया है। घटनास्थल बैरसिया रोड स्थित सिंडिकेट बैंक की शाखा है। मामले की जांच एसआई अयाज चांदा (SI Ayaj Chanda) ने की है। मामला सिंडिकेट बैंक (Syndicate Bank) से निकाले गए 7 लाख रुपए से जुड़ा है। यह रकम टीला जमालपुरा निवासी कन्हैयालाल डाबी (Kanhaiyalal Daabi) के खाते में जमा होनी थी। लेकिन, आरोपियों ने यह रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा ली। पीड़ित न्यू मार्केट के फुटपाथ में जूते—चप्पल बेचने का काम करता है। घटना की शुरुआत सितंबर, 2018 से हुई थी। लेकिन, पुलिस घटना का समय फरवरी, 2020 मान रही है। पुलिस ने बैंक खातों के आधार पर नाम तय किए हैं। यह खाता वर्मा ट्रेडर्स (Verma Traders) का है जिससे जुड़े आरोपी बताए जा रहे हैं।

मैनेजर ने मांगा था कमीशन

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हनुमानगंज थाना, जिला भोपाल— फाइल फोटो

कन्हैया लाल डाबी ने पुलिस को बताया कि उसने अगस्त, 2018 में मुख्यमंत्री निवास में गुमठी आवंटन के लिए आवेदन किया था। यह आवेदन (Bhopal Loan Fraud) भोपाल कलेक्टर के जरिए नगर निगम कमिश्नर के पास पहुंचा। भोपाल निगम कमिश्नर ने मदद करने की बजाय उसे सलाह दी। निगम ने कहा कि शहरी आजीविका मिशन के जरिए उसको वित्तीय सहायता मिल सकती है। इसके बाद कन्हैया लाल डाबी ने दोबारा मुख्यमंत्री निवास में आवेदन किया। लेकिन, उसे फिर कोई सहायता नहीं मिली। लोन के सिलसिले में ही वह फरवरी, 2020 में सिंडिकेट बैंक पहुंचा था। यहां उससे आरोपी जमुना प्रसाद चौधरी (Jamuna Prasad Chaudhry) टकराया था। इससे पहले पीड़ित को मैनेजर ने लोन का टारगेट पूरा होने का बोलकर उसे लोन देने से इंकार कर दिया था। जमुना प्रसाद चौधरी ने पीड़ित से दावा किया कि वह उसको लोन दिलवा देगा। इसके बाद वह मैनेजर देवेन्द्र साहू (Devendra Sahu) के पास ले गया। जिसने पैसा लेकर लोन दिलाने की बात बोली।

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खाली खाते का चेक थमाया

कन्हैया लाल डाबी ने पुलिस को बताया कि उसको 7 लाख रुपए लोन मिलने का लालच दिया गया। इसके लिए वर्मा ट्रेडर्स नाम की फर्म के दस्तावेज लगाए गए। यह मार्च, 2020 में किया गया। कुछ दिनों बाद खाते में पैसा आ गया। जिसको आरोपियों प्रमोद वर्मा, जमुना प्रसाद चौधरी, मनोज तोमर और अन्य ने नहीं दिया। पीड़िता ने (Bhopal Loan Fraud) यहां वहां शिकायत की तो जमुना प्रसाद चौधरी ने उसको सितंबर, 2020 में केनरा बैंक का डेढ़ लाख रुपए का चेक थमा दिया। यह चेक भी खाते में डालने पर बाउंस हो गया। इसके बाद से पीड़ित एफआईआर के लिए थानों के चक्कर काट रहा था। पुलिस ने इस मामले में अभी प्रमोद वर्मा और मनोज तोमर के भूमिका की कोई बातें सार्वजनिक नहीं की है। पुलिस का कहना है कि बैंक से मिले वर्मा ट्रेडर्स के फर्म के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया है।

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