एनआईए ने क्लीन चिट दी अब राज्य सरकार की एसआईटी करेगी जाँच

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छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए SIT में 10 अफसर

छत्तीसगढ़ राज्य के 29 कद्दावर कांग्रेस नेताओं की हुई थी मौत

भोपाल। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी हत्या कांड की जांच अब एसआईटी करेगी। इससे पहले यह जांच केंद्र की एनआईए जैसी बड़ी एजेंसी जांच कर चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर की झीरम घाटी हुए नक्सली हमले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश जारी किए हैं। बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा इस टीम के लीडर बनाये गये हैं। इसमें आईजी के अलावा हर क्षेत्र के 9 अन्य जानकार भी शामिल हैं।
इस घटना में नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा सहित छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष पंक्ति के नेताओं सहित 29 लोगों की मौत हुई थी। झीरम घाटी हमले को देश के सबसे बड़े राजनीतिक नरसंहार माना जाता हैं। यह साल 2013 में बस्तर के दरभा थाना क्षेत्र के झीरम घाटी में हुआ था। दावा किया जाता है कि नक्सलियों ने इसे अंजाम दिया था जिसमें कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की मौत हो गई थी। घटना में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल, महेन्द्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित कुल 29 लोग मारे गए थे।
सरकार ने पहले की थी घोषणा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच एसआईटी से कराने की बात पहले की कह चुके थे। लेकिन बुधवार को सरकार ने जांच टीम गठित कर दी। इस टीम में सभी बड़े अधिकारी शामिल हैं। बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा टीम का नेतृत्व करेंगे। उनके अलावा पी. सुंदर राज (डीआईजी नक्सल अभियान), एमएल कोटवानी (एसपीए सुरक्षा वाहिनी माना), गायत्री सिंह (उप सेनानी तीसरी वाहिनी अमलेश्वर दुर्ग), राजीव शर्मा (डीएसपी सरायपाली), आशीष शुक्ला (टीआई रायपुर), प्रेमलाल साहू (टीआई विशेष शाखा), नरेन्द्र शर्मा (रिटायर्ड डीएसपी), एएन चतुर्वेदी (विधि विशेषज्ञ), डॉ. एमके वर्मा (विधि विज्ञान विशेषज्ञ) शामिल हैं।

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निगरानी के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित
2013 में झीरम हमले की जांच तत्कालीन यूपीए सरकार ने NIA को सौंपी थी, लेकिन 4 साल की जांच के बाद NIA की रिपोर्ट में कोई उल्लेखनीय तथ्य सामने नहीं आया। NIA ने इसे नक्सली हमला ही करार दिया था। इसके अलावा उस समय की छत्तीसगढ़ की रमन सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा के नेतृत्व में न्यायिक आयोग बनाया था। आयोग में अभी भी मामले की सुनवाई जारी है।

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