MP Congress News: नेशनल हेराल्ड मामले में पूर्व मुख्यमंत्री ने दी मीडिया के सामने अपनी सफाई
भोपाल। नेशनल हेराल्ड मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपनी सफाई दी है। दरअसल, इसी मामले को लेकर कांग्रेस (MP Congress News) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को ईडी की तरफ से समन जारी किया गया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का आरोप है कि यह पूरा मामला कर्ज से जुड़ा था जिसको भारतीय जनता पार्टी ने घोटाला करार दे दिया। उन्होंने चार बिंदुओं पर नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापनी से लेकर अब तक हुए घटनाक्रम को सिलसिलेवार बताकर आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है।
महात्मा गांधी ने भी की थी निंदा
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (EX CM Digvijay Singh) के कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापना पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, पुरुषोत्तम दास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव, रफी अहमद किदवई और अन्य नेताओं ने वर्ष 1937 में की थी। ताकि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नामक कंपनी को स्थापित करके देश में स्वतंत्रता आंदोलन को आवाज दी जाए। इस बात से नाराज होकर अंग्रेजों ने 1942 से 1945 तक समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया था। इस फैसले को लेकर महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के लिए एक त्रासदी तक बताया था। समाचार पत्र की संपादकीय उत्कृष्टता के बावजूद, नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र (National Herald News Paper) निरंतर आर्थिक रूप से घाटे में जाता गया। जिसके परिणाम स्वरूप घाटा 90 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था।
दुर्भावना से प्रेरित हैं आरोप
दिग्विजय सिंह ने बताया कि इस संकट में फंसे नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की सहायता लिए कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2002 से लेकर 2011 के दौरान लगभग 100 किश्तों में इसे 90 करोड़ रुपये का कर्ज दियां इसमें महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात यह है कि इस 90 करोड़ रुपए की राशि में से नेशनल हेराल्ड ने 67 करोड़ रुपए अपने कर्मचारियों के वेतन और वीआरएस का भुगतान करने के लिए उपयोग किए और बाकी की राशि बिजली शुल्क, गृह कर, किरायेदारी शुल्क और भवन व्यय आदि जैसी सरकारी देनदारियों के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई। बीजेपी में बैठे लोग और उनके हितैषी, जो कि नेशनल हेराल्ड को दिए गए इस 90 करोड़ रुपये के ऋण को अपराधिक कृत्य के रूप में मान रहे हैं, ऐसा वह विवेकहीनता और दुर्भावना से अभिप्रेत होकर कह रहे हैं। यह सर्वथा अस्वीकार्य है।
चुनाव आयोग ने दी थी क्लीनचिट
दिग्विजय सिंह (MP Congress News) ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल जब कर्ज देता है तो भारत में किसी भी कानून के तहत एक आपराधिक कृत्य नहीं है। फिर, कांग्रेस पार्टी से जुड़े एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (1937 से कांग्रेस पार्टी से निकटता से जुड़ी और कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन करने वाली कंपनी) को समय-समय पर कुल 90 करोड़ रुपये का ऋण देना कैसे एक आपराधिक कृत्य माना जा सकता है? इस ऋण को विधिवत रूप से कांग्रेस पार्टी के खातों की किताबों में दर्शाया गया था, जिसका विधिवत लेखा-जोखा किया गया और भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तुत भी किया गया। यहां तक कि चुनाव आयोग ने दिनांक 06-11-2012 के अपने एक पत्र के माध्यम से सुब्रमण्यम स्वामी को यह स्पष्ट करते हुए लिखा था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी राजनीतिक दल की तरफ से खर्च को प्रतिबंधित या नियंत्रित करता हो।
इसलिए बनाई गई दूसरी कंपनी
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि नेशनल हेराल्ड को दिया गया यह 90 करोड़ रुपए का ऋण नेशनल हेराल्ड और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को चुकाना संभव नहीं था। इसलिए, इस 90 करोड़ रुपए के ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इक्विटी शेयरों का स्वामित्व अपने पास नहीं रख सकती थी। इसलिए इस इक्विटी को सेक्शन-25 के अंतर्गत स्थापित यंग इंडियन नामक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी को आवंटित कर दिया गया। सोनिया गांधी (Soniya Gandhi), राहुल गांधी, ऑस्कर फर्नांडीस, मोतीलाल बोरा, सुमन दुबे (Suman Dubey) इस कंपनी की प्रबंध समिति के सदस्य है। कंपनी के शेयर धारक/प्रबंध समिति के सदस्य कानूनी रूप से कोई लाभांश, लाभ, वेतन या अन्य वित्तीय लाभ नहीं ले सकते हैं। इसलिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी या यंग इंडियन में किसी अन्य व्यक्ति का किसी भी प्राप्ति या वित्तीय लाभ का प्रश्न ही नहीं उठता। इसलिए स्वामी/ भाजपा का अवैध प्राप्ति या लाभ या वित्तीय अर्जन का दावा स्वाभाविक रूप से असत्य है।
कांग्रेस (MP Congress News) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि नेशनल हेराल्ड की समग्र आय और सभी संपत्तियां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की अन्य संपत्ति बनी हुई हैं। कारण बहुत सरल है। संपत्ति का स्वामित्व कंपनी, यानी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के पास है, किसी शेयर धारक के पास नहीं। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की किसी भी चल या अचल संपत्ति को किसी ने भी स्थानांतरित नहीं किया है और न ही यंग इंडियन ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से एक भी रुपया निकाला है। यंग इंडियन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के पास 99 प्रतिशत शेयर है और वह कंपनी को नियंत्रित करता है। इसके बावजूद अपने प्रबंध समिति के किसी भी सदस्य को एक भी रुपया नहीं दे सकता। क्योंकि यह एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है। अगर प्रबंध समिति के सदस्यों ने यंग इंडियन कंपनी का परिसमापन/ बंद कर दिया है, तो भी इससे प्राप्त सकल आय केवल नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी को ही जा सकती है और कानूनी रूप से। इसे शेयर धारकों/ प्रबंध समिति के सदस्यों के बीच वितरित नहीं किया जा सकता है। वास्तव में, यह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की परिसंपत्तियों/ संपत्तियों की हमेशा के लिए रक्षा करता है, क्योंकि इसकी संपत्ति को कभी भी निजी व्यक्तियों को बेचा और उपयोग नहीं किया जा सकता है और यह हमेशा एक कोई लाभ नहीं की अवधारणा पर स्थापित कंपनी के पास रहेंगी। इन परिस्थितियों में किसी आपराधिक कृत्य या निजी लाभ पाने का प्रश्न ही कहां उठता है?
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