Bhopal Domestic Violence: ऊर्जा डेस्क की ‘तिकड़ी’ जो घर बसाने का ‘चौघड़िया’

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Bhopal Domestic Violence: रिटायर्ड हवलदार की नौ बेटियां, आठवीं पर आया संकट तो उसके दो भाईयों को राखी के बंधन की दिलाई याद

Bhopal Domestic Violence
पारिवारिक मामले को सुलझाने वाली टीम के साथ पति पत्नी.

भोपाल। महिला संबंधित समस्याओं के निदान के लिए ऊर्जा डेस्क बनी है। राजधानी भोपाल (Bhopal Domestic Violence) के सभी थानों में यह डेस्क चल रही है। इनकी कार्यप्रणाली मजबूत बनाने पुलिस ​कमिश्नर मकरंद देउस्कर (Police Commissioner Makrand Deuskar ) और डीसीपी मुख्यालय विनीत कपूर (DCP Vineet Kapoor) कई तरह के नवाचार कर रहे हैं। काम में गुणवत्ता और द्रूत गति से कार्य के लिए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। इन्हीं बातों से प्रेरित होकर गोविंदपुरा थाने में स्थित ऊर्जा डेस्क की तिकड़ी एक—एक करके कई घरों को बसाने का चौघड़ियां बना देती हैं। यहां तिकड़ी से म​तलब तीन अधिकारियों का समूह है। इसी तरह कुछ अच्छा कार्य करने के लिए देखा जाने वाला काल को चौघड़िया कहते हैं। इन्हीं जोड़ी ने एक बार फिर विचित्र मामले को सुलझाने में कामयाबी हासिल की है। परिवार पुलिस से ही रिटायर्ड हवलदार का था।

बदमाश के घर रख दी पत्नी—बेटी

उत्तर प्रदेश के कोच में रहने वाले बिजली विभाग के एक अधिकारी के साले के साथ 2003 में छतरपुर की रहने वाली मीना सोनी (Meena Soni)  की शादी की गई। उस वक्त परिवार को लगा पति संजीव सोनी (Sanjeev Soni)के जीजा बड़े अधिकारी है तो उसका जीवन अच्छे से कट जाएगा। जीजा अपने साले को भोपाल ले आए। यहां गोविंदपुरा इलाके में जूस सेंटर खुलवा दिया। सेंटर काफी अच्छा चलता था। लेकिन, संजीव सोनी की दोस्ती बुरे लोगों के साथ हो गई। वह शराब पीने लगा और घरेलू कलह कर मारपीट करने लगा। इस बात से तंग मीना कभी छतरपुर तो कभी अपनी छह अन्य बहनों से मदद मांगने लगी। इधर, पति जोड़े हुए सामान को बेचने लगा। पिछले साल पति को मुंह का कैंसर निकल आया। जिसके बाद पत्नी उसको छोड़कर छतरपुर में मायके चली गई। वहां से पति अप्रैल में पत्नी और दो नाबालिग बेटियों को लेकर आया और बदमाश अरुण गोस्वामी (Arun Goswami)  के घर पर रख दिया।

इन कारणों से पति की जीभ कटी

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पारिवारिक मामले को सुलझाने वाली टीम पति—पत्नी को सेंटर में परामर्श देते हुए।

अरूण गोस्वामी के खिलाफ गोविंदपुरा थाने में कई मामले दर्ज है। ​वह अभी एक मामले में जेल में बंद है। मीना सोनी को अपनी दो बेटियों जो कक्षा ग्यारहवीं और दसवीं में पढ़ती है उनकी फिक्र हुई। वह 19 अप्रैल को गोविंदपुरा स्थित ऊर्जा महिला डेस्क पहुंच गई। यहां उसके आवेदन को डेस्क की संचालक एएसआई रामकुंवर धुर्वे (ASI Ramkuwar Dhurve) , लिंक अधिकारी हवलदार सोनिया पटेल (HC Soniya Patel)  और काउंसलर सुषमा संजीव शर्मा (Sushma Sanjeev Sharma) ने पढ़ा। जिसके बाद इस घरेलू हिंसा के मामले (Bhopal Domestic Violence) को सुलझाने की योजना बनाई गई। सबसे पहले पति को तलब किया गया। वह भी पत्नी को प्रेम करता है। उसका कहना था कि वह आखिरी दौर में हैं क्योंकि कैंसर की वजह से जीभ कट चुकी है। डॉक्टर उसको चेतावनी दे चुके हैं। इधर, मीना सोनी भोपाल में रहने को राजी नहीं थी। इसलिए छतरपुर में स्थित मायके पक्ष से संपर्क किया गया। उसके दो भाई गणेश प्रसाद सोनी (Ganesh Prasad Soni) और संतोष सोनी (Santosh Soni) ने उनका निजी मामला बताकर दूरी बना ली। इसके बाद पुलिस ने जब सख्ती दिखाई तो वह बातचीत के लिए भोपाल आए।

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बहन ने रख लिया था गृहस्थी का सामान

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सेंटर में बहन का साथ देने पहुंचा भाई

मीना सोनी के पिता राम किसोन सोनी (Ram Kison Soni) रिटायर्ड हवलदार थे। गणेश प्रसाद सोनी ने बताया कि पिता की नौ बेटियां और दो बेटे हैं। दो बेटियों का निधन हो चुका है। वे 1998 में रिटायर हुए थे। मीना सोनी उनकी आठवीं बेटी है। पिता का देहांत होने के बाद मां को पुलिस विभाग से पेंशन मिल रही है। गणेश प्रसाद सोनी भारतीय स्टेट बैक के एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। उन्होंने उर्जा डेस्क (Bhopal Domestic Violence) को लिखकर दिया है कि वे बहन का घर बसाने के लिए गृहस्थी का सामान उस बहन से दिलाएंगे जिसने मीना सोनी को लौटाने से इंकार कर दिया था। इसकेे अलावा छतरपुर में मकान किराए का दिलाकर एक महीने का राशन बहन को भरकर देंगे। इधर, मीना सोनी और पति ने करार किया है कि वे अब कलह नहीं करेंगे। माता—पिता की गतिविधियों की निगरानी की रिपोर्ट समय—समय पर देने की जिम्मेदारी नाबालिग बेटियों को सौंपी है।

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