Nepal Government Scheme: नेपाल में शोर मचाकर आवेदन देने जाते हैं ग्रामीण

Share

Nepal Government Scheme: भैस की डिलीवरी कराने से नेपाली हो रहे अमीर, उसके मालिक को मिलता है पांच से दो हजार रुपए तक प्रसूता भत्ता

काठमांडू। आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन, यह नेपाली (Nepal Government Scheme) सरकार की काफी सकारात्मक योजना है। इस योजना से ग्रामीण अंचलों में क्रांति आ गई है। इस कारण वहां के नागरिकों का जीवन स्तर में काफी बदलाव आया है। इस बदलाव की मुख्य वजह है भैंस। अब आप सोच रहे होंगे कि भैंस का आर्थिक समृद्धि से क्या लेना-देना। यही विषय समाचार का है। दरअसल, नेपाली सरकार की योजना के तहत जिस घर में भैस गर्भवती होगी उसके मालिक को दो हजार रुपए गर्भवती भत्ता दिया जाता है। इसी भत्ते की वजह से सरकार और पशुपालकों का जीवन स्तर में बदलाव आ गया है।

बच्चों की शिक्षा में मिली मदद

इस तरह का प्रयोग का केंद्र काभ्रेपलाचोक को बनाया गया है। यहां नगर पालिका पहली बार भैंस के गर्भवती होने पर पांच हजार रुपए देती है। इसके बाद यह भत्ता दो हजार रुपए हैं। यह योजना नेपाली सरकार के पशुपालन विभाग की तरफ से शुरु की गई है। इसका मकसद नेपाली पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना की जरिए पंचायत दुग्ध उत्पादन में आगे बढ़ गया है। यहां पहले विमला सापकोटा गाय पालती थी। जब उन्हें सरकारी योजना की जानकारी लगी तो उन्होंने भैंस पाल लिया। सरकारी योजना से उन्हें जो राहत मिली उसे भैस के दूध से हुई आय के मुकाबले छोटी नजर आने लगी। इसी आय से उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई भी पूरी की। इसके बाद उन्होंने गाय की बजाय भैंस पालना शुरु कर दिया है। यह जानकारी नेपाली न्यूज वेबसाइट सेतोपाटी ने बताते हुए ग्रामीण अंचल की शानदार रिपोर्ट पेश की है।

दुधारू नगर पालिका बनीं

लेकिन, यज्ञ खत्री के साथ दूसरे अनुभव सुनने को मिले। वे बहुत पहले से भैंस को पाल रहे थे। जिसमें उन्हें दूध के दाम अच्छे नहीं मिल रहे थे। सरकार की स्कीम से दाम अच्छे मिलने लगे। इसकी वजह लोगों में बढ़ता रूझान बताया गया। पहले उनके पास चार भैंस थी अब यह संख्या सात पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि भैस प्रसूता भत्ता योजना और बीमा मिलने से किसान को आत्मबल मिला है। चंद्रप्रसाद न्यौपाने तो बकायदा दूध कारोबार की एक फर्म बना ली है। उनके पास इस वक्त 17 भैंसे हैं। नेपाल में इस योजना की शुरुआत चार साल पहले हुई थी। जिसके उत्साहजनक परिणाम अब देखने को मिल रहे हैं। यहां की सरकार ने पहले वित्तीय वर्ष में 215 भैंस को पौने छह लाख रुपए का भुगतान किया था। उसके अगले साल यह संख्या 444 पर पहुंच गई। जिसमें करीब 12 लाख रुपए नेपाली रूपया में अनुदान दिया गया। तीसरे साल यह संख्या 641 और ब संख्या 900 पर पहुंच गई है। जिसमें 49 लाख रुपए नेपाली पैसे में भुगतान करने बजट रखा गया है। यहा हर रोज 70 हजार लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें:   South Asia News: नेपाल में राजनीतिक दंगल, क्या भारत के लिए अखाड़ा
Don`t copy text!