Bhopal AIIMS Job Fraud: आधा दर्जन से अधिक नियुक्ति पत्र लेकर पहुंचे तो उजागर हुआ फर्जीवाड़ा, एम्स अस्पताल के महिला समेत दो अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
भोपाल। अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान में नौकरी दिलाने का बड़े फर्जीवाड़े (Bhopal AIIMS Job Fraud) का खुलासा किया है। इस मामले में एम्स अस्पताल प्रबंधन के भीतर ही दो अफसरों की भूमिका संदिग्ध पाई जा रही है। यह मामला भोपाल एम्स अस्पताल से जुड़ा है। हालांकि पुलिस ने आउटसोर्स पर तैनात नर्स के खिलाफ जालसाजी काप्रकरण दर्ज किया है। अब तक पुलिस के सामने पांच लोग जो फर्जीवाड़े के शिकार हुए है वह सामने आए है। पुलिस ने संभावना जताई है कि इनकी संख्या सैकड़ों में है।
चार महीने से चल रही थी जांच
बागसेवनिया थाना पुलिस के अनुसार 21 अक्टूबर की शाम लगभग छह बजे 758/21 धारा 420 (जालसाजी) का केस दर्ज किया गया है। इस मामले में घटनास्थल अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान परिसर है। पुलिस ने एफआईआर गीता चौहान पति विजय चौहान उम्र 39 साल की शिकायत पर दर्ज किया है। वह बागमुगालिया एक्सटेंशन स्थित रामेश्वरम कॉलोनी में रहती है। पुलिस ने इस प्रकरण में जांच के बाद आरोपी विजय लक्ष्मी वंशकार (Vijay Laxmi Vanshkar) को बनाया है। गीता चौहान (Geeta Chouhan) से आरोपी ने एम्स अस्पताल में नौकरी लगाने के नाम पर करीब एक लाख 21 हजार रुपए ऐंठ लिए गए। इस संबंध में फर्जीवाड़े की जानकारी पुलिस को जून, 2021 में लग गई थी। जिसके बाद जांच की गई तो पुलिस भी फर्जीवाड़े को जानकार हैरान रह गई।
जांच का बोलकर पल्ला झाड़ा
पुलिस को पड़ताल में पता चला कि गीता चौहान जैसे दर्जनों लोगों को आरोपी ने झांसा दिया। जांच के बाद भदभदा निवासी दुर्गा उईके पति भंवर उईके, साई बाबा नगर निवासी वर्षा पति शैलेंद्र सोहित, इटारसी निवासी रोहित सिंह पिता इंदल सिंह, बैरागढ़ निवासी विवेक पांडे (Vivek Pandey) से भी आरोपी ने पैसे ऐंठे थे। सभी से एम्स में जॉब दिलाने के नाम पर एक लाख, 15 हजार रुपए ऐंठे गए थे। यह रकम एम्स में नर्सिग स्टाफ, अटेंडर, तकनीशियन पोस्ट के लिए ली गई थी। मामले की जांच एसआई बीके सिंह (SI BK Singh) कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी इस मामले में कई अन्य बिंदुओं की पड़ताल की जारही है। इसलिए उन बातों को उजागर करने से जांच प्रभावित हो सकती है। फिलहाल मामले में अभी एक ही आरोपी है।
एम्स अस्पताल प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध
पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपियों ने बकायदा दुर्गा उईके, रोहित सिंह (Rohit Singh), विवेक पांडे, गीता चौहान समेत अन्य को नियुक्ति पत्र जारी किए थे। इस पत्र में एम्स डायरेक्टर डॉक्टर सरमन सिंह (Dr Sarman Singh), डिप्टी डायरेक्टर संतोष स्वगोरा, परीक्षा प्रकोष्ठ प्रभारी बाला साहब, डीन अकेडमी अर्पित अरोरा के नाम और हस्ताक्षर थे। इसके अलावा एम्स की सील भी लगी थी। यह बिलकुल असली जैसे लग रहे थे। लेकिन, पुलिस ने दस्तावेजों पर रिपोर्ट मांगी तो ऐसे पत्र जारी करने से इंकार कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में एम्स अस्पताल की एक महिला अधिकारी समेत दो लोगों की भूमिका संदिग्ध है। इस केस में पुलिस उन्हें भी आरोपी बनाने की तैयारी कर रही है। हालांकि इसके लिए पुलिस सबूत जुटा रही है।
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