MP Cop Gossip: आदेश जारी होने से पहले पुलिस लाइन के कर्मचारियों को बुलाकर करा लिया है अपना सामान पैक
भोपाल। मध्य प्रदेश (MP Cop Gossip) की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज पुलिस विभाग की है। द क्राइम इंफो के साप्ताहिक गुरुवार सुबह 7 बजे जारी होने वाली यह गॉसिप की खबरें। यह भीतर ही भीतर चल रही उन खबरों से जुड़ी है जो सामने आती नहीं है। हालांकि यह आधिकारिक रुप से प्रशासनिक आदेश के पहले पुलिस मुख्यालय या मंत्रालय के गलियारों में कानाफूसी के रुप में चलती है। उन्हीं खबरों में से कुछ आपके लिए प्रस्तुत की जा रही है।
परिवार के लिए प्रमोशन को त्यागा
दल अपने फायदे के लिए फैसले लेता है। यह सब जानते भी है। इसमें कोई समाज, वर्ग या विभाग अछूता नहीं रहता। प्रमोशन में अडंगा सरकार ने ही लगाया। जिसको आज तक लटकाकर रखा गया है। जब देखा उससे नुकसान हो रहा है तो कार्यवाहक का फॉर्मूला सरकार ने निकाल लिया। लेकिन, सरकार को एक अफसर ने आईना दिखा दिया। यह अफसर राजधानी में ही तैनात है। उनकी पुलिस सेवा को महज एक महीना बाकी है। उनका नाम प्रमोशन की सूची में आ गया। उनके सामने शर्त रख दी गई कि जिला छोड़ना पड़ेगा। अफसर ने परिवार के सामने प्रमोशन को त्याग कर सिस्टम के गाल पर जोरदार तमाचा मार दिया।
इसे कहते हैं दूरदृष्टि
भोपाल शहर की एक कुर्सी में अफसर कई साल से टिक नहीं पा रहे हैं। जो भी आया वह कुछ महीनों बाद ही जाने की बिसात पर लग जाता है। ऐसे ही एक आईपीएस अधिकारी के घर का इन दिनों सामान पैक हो रहा है। खबर है कि उन्हें झीलों के इस शहर का वातावरण मनोहर नजर नहीं आया। बंगले में आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी कई दिनों से सामान पैक कर रहे हैं। खबर है कि साहब शहर ही नहीं प्रदेश को बाय—बाय बोलने वाले हैं। उनकी दूरदृष्टि बता रही है कि प्रदेश के आईपीएस अफसरों की आने वाली सूची में उनके लिए शुभ संकेत नहीं हैं।
बहुत लगा ली आग
भारतीय पुलिस सेवा के एक अफसर अपनी आदतों की वजह से आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। इस बार फिर उन्होंने चर्चा बटोर ली। दरअसल, उनके बंगले के भीतर का वीडियो पूरे प्रदेश में वायरल हो गया। वीडियो बनाने वाले ने दावा किया कि उन्हें बंधक बनाया गया है। फिर क्या था उसके कुछ दिनों बाद आग बुझाने वाले संयंत्र का इस्तेमाल करके विरोधियों की जुबान बंद करने के लिए बहुत बड़े सुधार का फैसला लिया गया। नतीजा तबादले के रुप में आया। आपको बता दे कि यह अफसर वही हैं जिनकी मुंबई से पेट्रोल—डीजल के भुगतान की चली नोटशीट ने पीएचक्यू के कई अफसरों की नींद उड़ा दी थी।
कौन सुनेगा फरियाद
इन दिनों शहर में एक—एक करके सैंकड़ों सायबर फ्रॉड की एफआईआर दर्ज हो चुकी है। यह जब भी दर्ज होती है तो एक वाहन चालक बड़ी उम्मीद से टकटकी लगाता है। यह वाहन चालक छोटे—मोटे अफसर का सारथी नहीं है। इसके बावजूद उसकी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा। उसके खाते से भी हजारों रुपए निकल गए। लेकिन, उसकी एफआईआर भी आम नागरिकों की तरह कतार में पड़ी हुई है। वह इशारों ही इशारों में अपने अफसर को यह बता भी चुका है। लेकिन, साहब को अपनी आने वाली कुर्सी की चिंता ज्यादा है। जिसके लिए वे कई दिनों से लॉबिंग कर रहे हैं। इसलिए उस बेचारे छोटे कर्मचारी की समस्या पर अब तक सुध ही नहीं ली गई।
नेताजी को पुलिस से महंगा पड़ा पंगा
पिछले दिनों एक टीआई से थाने में जबरिया केक कटाया गया। इस बात से भीतर ही भीतर चल रही समझौते की बिसात पर कुठाराघात हुआ। इसमें कई अफसर बुरे भी बने। जिनके कहने पर केक काटने वाले कल्चर की शुरुआत की गई थी। हालांकि नेताजी को महकमे ने बाद में जमकर भीतर ही भीतर पटखनी (MP Cop Gossip) दी। पूरे एपीसोड को बड़े नेतृत्व के दरबार में पहुंचा दिया गया। जिसके बाद एक दल में चल रही पट्ठा परंपरा की भी कलई खुल गई। अब नेताजी उन अफसरों को मनाने में जुटे हैं जिनसे बोलकर साजिश का बीज बोया गया था।
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