शिवराज सरकार की मांग पर आयोग ने टाले नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव

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भाजपा ने हार के डर से टाले चुनाव – कुणाल चौधरी

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निर्वाचन सदन, फाइल फोटो

भोपाल। राज्य निर्वाचन आयोग ने शिवराज सरकार की मांग पूरी कर दी है। प्रदेश सरकार नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव को टालना चाहती थी। कोरोना महामारी का हवाला देते हुए चुनाव को तीन महीने टाले जाने की मांग की गई थी। जिसके बाद आयोग ने प्रदेश में 20 फरवरी के बाद नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव कराने का फैसला लिया है। चुनाव टाले जाने पर कांग्रेस की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि भाजपा ने हार के डर से चुनाव टाला है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने अपर मुख्य सचिव गृह विभाग को पत्र जारी किया है। पत्र में आयोग ने साफ किया है कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव तत्काल कराया जाना प्रस्तावित है। जिसके लिए आयोग पूरी तरह तैयार भी है। लेकिन 17 दिसंबर 2020 को गृह एवं जेल विभाग की तरफ से लिखे गए पत्र के आधार पर चुनाव स्थगित किए गए है। अब फरवरी के आखिरी सप्ताह या यूं कहे कि मार्च में ही मध्यप्रदेश के चुनाव हो सकेंगे।

कोविड-19 की आड़ !

Shivraj Singh Chouhan
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, फाइल फोटो

गृह एवं जेल विभाग के पत्र के मुताबिक कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए नगरीय निकाय एवं पंचायत निर्वाचन को अगले तीन माह तक स्थगित रखने की मांग की थी। गृह विभाग के पत्र में लिखा गया है कि जन स्वास्थ्य की दृष्टि से जनहित में फरवरी-मार्च 2021 के उपरांत चुनाव कराए जाएं। प्रदेश भर में दिसंबर और जनवरी के बीच चुनाव कराए जाने थे। लेकिन अब नगर परिषद नरवर जिला शिवपुरी को छोड़कर पूरे प्रदेश 20 फरवरी के बाद ही चुनाव होंगे। वहीं त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव भी दिसंबर तक पूर्ण होने थे। लेकिन फरवरी तक इन्हें भी आगे बढ़ा दिया गया है।

आयोग का संवैधानिक हवाला

निर्वाचन आयोग ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों के कार्यकाल के पूर्ण होने से पहले चुनाव संपन्न कराना आयोग का संवैधानिक दायित्व है। संविधान के अनुच्छेद 243k  और 243 za का हवाला देते हुए आयोग ने साफ किया है चुनाव के नियंत्रण और निर्देशन आयोग में निहित है। आयोग का संवैधानिक दायित्व है कि कार्यकाल खत्म होने पहले चुनाव कराए जाएं।

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यहां खत्म हुआ कार्यकाल

प्रदेश की कुल 407 नगरीय निकायों में से 307 का कार्यकाल 25 सिंतबर को खत्म हो चुका है। 8 नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी और फरवरी में पूर्ण हो रहा है। त्रिस्तरीय पंचायतों के जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल तो मार्च 2020 में ही पूर्ण हो चुका है। नवगठित 29 नगर परिषदों में भी चुनाव कराए जाने है। संविधान के अऩुच्छेद 243 E एवं 243 U के मुताबिक नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों की अवधि पांच साल ही है।

आयोग ने याद दिलाई शक्तियां

मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज्य अधिनियम 1993 की धारा 9 तथा नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 14 एवं नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 32 का हवाला देते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को अपनी शक्तियां याद दिलाई है। बताया है कि निकायों का कार्यकाल 5 साल ही रह सकता है।

न्यायालय में पार्टी बन रहा आयोग

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हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ, फाइल फोटो

एक तरफ शिवराज सरकार चुनाव टालना चाहती है। दूसरी तरफ निर्वाचन आयोग चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसी बीच मुकदमे बाजी भी शुरु हो गई है। समय पर चुनाव न कराए जाने को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ ग्वालियर और इंदौर में प्रकरण चल रहे है। ग्वालियर खंडपीठ ने तो नगर परिषद नरवर जिला शिवपुरी का चुनाव समय पर न कराए जाने के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग और नगरीय प्रशासन विभाग पर 50-50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है। राज्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ अवमानना का प्रकरण भी प्रस्तुत किया गया है। इसी प्रकार हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में भी नगर निगम के चुनाव शीघ्र कराए जाने के संबंध में याचिका दायर हुई है।

कोरोना का बहाना क्यों…जबकि..

राज्य निर्वाचन आयोग ने उदाहरण भी पेश किए है। उन्होंने बताया है कि बिहार विधानसभा चुनाव, लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव। राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना में चुनाव कराए जा रहे है। हैदराबाद में अभी चुनाव हुए है। हरियाणा ने दिसंबर में ही नगरीय निकाय चुनाव कराने का कार्यक्रम जारी किया है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि क्या केवल मध्यप्रदेश में ही कोरोना फैल रहा है जो चुनाव टाले जा रहे है।

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कांग्रेस का वार

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कुणाल चौधरी, विधायक, कांग्रेस, मध्यप्रदेश

भाजपा इस देश से लोकतंत्र खत्म करना चाहती है। यहीं वजह है कि अमित शाह बंगाल में रैलियां करते तो कोरोना नहीं फैलता, लेकिन मध्यप्रदेश में चुनाव होंगे तो कोरोना फैलेगा। भाजपा को हार का डर सता रहा है, यहीं वजह है कि कोरोना का बहाना बनाकर चुनाव टाले जा रहे है।

कुणाल चौधरी, विधायक, कांग्रेस

भाजपा का जवाब

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भाजपा प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी

कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता राहुल गांधी ने बयान दिया था कि कोरोना ने देश में 2019 में दस्तक दे दी थी। हमारी सरकार मार्च मध्य में बनी। दिसंबर से लेकर मार्च तक कोरोना को लेकर उपाय नहीं किए। हमारी सरकार ने मजदूरों, प्रवासी लोगों के लिए मैदान में उतरकर काम किए है। कांग्रेस को कुछ नहीं आता, सिर्फ आरोप लगाना आता है। भाजपा कानून का पालन करती है। विश्व में कोरोना की नई लहर सामने आई है। इसलिए जनता की जान-माल पहले और चुनाव बाद में ये पार्टी का सिद्धांत रहा है।

दुर्गेश केसवानी, प्रवक्ता, भाजपा, मध्यप्रदेश

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