मुजफ्फरनगर। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की। 11 अप्रैल को मौजूदा आम चुनाव के पहले चरण के मदतान में यहां लोकतंत्र में यकीन का अजीब वाकया सामने आया। यहां वोट डालने की चाहत रखने वाली 85 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला कई दिनों से बीमार थीं, उनकी किडनी फेल हो चुकी थी। एक सप्ताह से उन्होंने अन्न का एक दाना भी मुंह में नहीं डाला था, लेकिन चाहत थी कि वो एक बार और वोट डालें। अपने देश के सबसे बड़े पर्व में हिस्सेदारी करें। यह इच्छा उन्होंने अपने परिजनों को बताई।
दिक्कत यह थी कि वे इतना अधिक बीमार और कमजोर थीं कि चारपाई से उठना भी मुमकिन नहीं था। आखिरकार शाम को तय किया गया कि चारपाई समेत ही मतदान केंद्र ले जाया जाए। मतदान केंद्र पर भी चारपाई को बूथ के भीतर तक ले जाया गया, जहां बुजुर्ग महिला ले अपनी आखिरी हसरत पूरी की। वोट डालने की खुशी और सुकून के साथ वे घर लौटीं और महज 2 घंटे बाद ही अपनी आखिरी यात्रा पर चल पड़ीं। कभी वापस न आने के लिए।
यह किस्सा है 85 साल की किश्नो देवी का। एक हफ्ते से कुछ नहीं खाने के कारण वे उठने-चलने में असमर्थ थीं और बिस्तर पर ही दिन गुजार रही थीं। अपनी आखिरी सांसें गिनते हुए उनकी इच्छा थी कि वह दुनिया को विदा लेने से पहले एक बार और वोट जरूर डालें। 11 अप्रैल को पहले चरण के चुनाव में मुजफ्फरनगर में वोटिंग होनी थी। तो वे भी पोलिंग बूथ जाने की जिद करने लगीं। आखिरकार परिजनों ने उन्हें बूथ तक पहुंचाया और वोटिंग के चंद घंटे बाद ही उनकी मौत हो गई।
पोलिंग बूथ पर किया गया खास इंतजाम
जब किश्नो के बेटे ने गांव के अन्य लोगों को मां की इच्छा बताई तो गांव के प्रधान और अन्य ग्रामीणों ने मिलकर इसके लिए इंतजाम करने का फैसला किया। प्रधान समेत चार लोग किश्नो के घर गए और उन्हें एक चारपाई में लिटाकर पोलिंग बूथ पर लेकर आए जहां शाम को लगभग साढ़े पांच बजे उन्होंने वोट डाला। बताया जाता है कि अपने आखिरी पल में किश्नो काफी संतुष्ट थीं कि जाते-जाते उन्होंने देश के एक सच्चे नागरिक का फर्ज अदा किया। वोट डालने के बाद उनके चेहरे में मुस्कुराट थी। किश्नो मुजफ्फरनगर के चरथावल के ग्याना मजारा गांव की थीं।