‘शिवराज सरकार ने पेड़ों को खिला दिए कैप्सूल’

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‘पेड़ों के लिए 190 रुपए में खरीदा गया एक कैप्सूल’

Fertilizer Scam
पीसीसी में प्रेसवार्ता करते भूपेंद्र गुप्ता और नरेंद्र सलूजा

भोपाल। क्या पेड़ भी कैप्सूल खाते है ? ये सवाल मध्यप्रदेश कांग्रेस ने शिवराज सरकार से पूछे है। कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने प्रेस वार्ता में बताया कि भारत सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को जैविक खेती में आगे ले जाने के लिए जो फंड पीकेवीवाय में दिया गया। उसका 2016 से ही जबरदस्त दुरुपयोग किया गया। आपने बीमारी के लिए इलाज के लिए मनुष्यों को तो कैप्सूल खाते देखा होगा डॉक्टर कैप्सूल देते हैं, यह सुना होगा लेकिन पेड़ों को भी कैप्सूल दिए जाते हैं। यह आप निश्चित रूप से पहली बार सुन रहे होंगे। मध्य प्रदेश सरकार ने यह चमत्कारी काम भी करके दिखाया और करोड़ों रुपए का घोटाला जैविक खेती में मध्य प्रदेश को श्रेष्ठ बनाने के नाम पर कर दिया गया।

‘नाफेड की आड में घोटाला’

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि इस घोटाले में भी तरीका वहीं पुराना है। नाफेड को बीच में रखकर जिन सप्लायर्स के साथ सेटिंग है उनका बिना टेंडर के सामान खरीदना हजारों गुना कीमत पर आत्मा परियोजना में लगभग 2348 क्लस्टर के लिए लिक्विड बायो फर्टिलाइजर खरीदने के लिए भारत सरकार ने मध्य प्रदेश को फंड दिया यह लिक्विड फॉर्म bio-fertilizer सौ डेढ़ सौ रुपया प्रति लीटर से बाजार में उपलब्ध रहता है। भ्रष्टाचार करने के लिए भाजपा सरकार में बायो फर्टिलाइजर के साथ हेरफेर करते हुए एक शब्द जोड़ा गया ‘इन कैप्सूल फार्म’ और करोड़ों रुपए के पेड़ों को खिलाने के लिए कैप्सूल खरीदे गए जो आदेश हमें आरटीआई से प्राप्त हो सके हैं उनके अनुसार एक ही ऑर्डर लगभग 5 करोड़ का है यह कैप्सूल अलग-अलग बैक्टीरिया के नाम से  160 रुपये से लेकर 196 रूपये प्रति केप्सूल की दर तक में खरीदे गए और जनता के धन को ठिकाने लगा दिया गया।

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किसकी अनुशंसा से खरीदा ?

उन्होंने कहा कि जो दरें निरस्त की जा चुकी थीं उन दरों पर ये सामान खरीदे गए। यह जांच का विषय है कि दुनिया में पहली बार कैप्सूल के रूप में bio-fertilizer खरीदने के इस महा घोटाले पर सरकार का ध्यान क्यों नहीं गया? क्यों नीचे से लेकर ऊपर तक चिड़िया बैठती चली गई? भाजपा के कौन बड़े नेता के हित लाभ के लिए यह किया गया यह मध्य प्रदेश जानना चाहता है । सभी जानते हैं कि फर्टिलाइजर की कोई भी खरीदी एफसीओ के माध्यम से जिसे फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर कहते हैं, ही की जाती है। इंडियन स्पाइसेज रिसर्च बोर्ड द्वारा इसे प्रमाणित भी होना चाहिए लेकिन बिना इन दोनों संस्थाओं के प्रमाणीकरण के यह खरीदी की गई। सरकार को यह बताना चाहिए कि लिक्विड bio-fertilizer की जगह कैप्सूल खरीदने के लिए क्या इन संस्थाओं से अनुशंसा प्राप्त की गई थी?

कृषि मंत्री बताएंगे ये कितने परसेंट का घोटाला ?

प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना जिसके तहत यह पैसा मध्यप्रदेश को मिला उसमें भी कैप्सूल फाॅर्म में बायोफर्टिलाइजर खरीदने के कोई निर्देश नहीं थे, 5 अक्टूबर 2018 की 2348 क्लस्टर की योजना में नियमों को ठेंगा दिखाते हुए भ्रष्ट अफसरों और सप्लायरों के गठजोड़ ने योजना स्वीकृति के अगले दिन ही दलालों को कार्य आदेश दे दिए । गुप्ता ने आरोप लगाते हुए मांग की कि यह भी जांच की जाये कि इन घोटालों के भुगतान पर काग्रेस सरकार में लगी रोक हटाकर लाकडाउन में करोड़ों का भुगतान कैसे हो गया? कृषि मंत्री कमल पटैल प्रदेश की जनता को जबाब दें कि ये घोटाले कितने परसेंट में माने जायें?

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