MP Police Gossip: गृहमंत्री के इलाके में ही इतने गहरे गड्ढे

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आदेश को लेकर पुलिस मुख्यालय के अफसरों की भूमिका पर हो रही कानाफूसी

Madhya Pradesh Police Gossip
सांकेतिक चित्र

भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) पुलिस महकमे में ट्रांसफर और पोस्टिंग से पहले बहुत सारी स्क्रूटनी होती है। इसके बावजूद चूक हो जाए तो इसमें किसका गुनाह। वह भी उस जिले की पोस्टिंग  विजो गृृृह विभाग वहां के नेता संभालते हो। यह बिल्कुल सच (Bhopal Police Ke Kisse)  है और अंदर ही अंदर कानाफूसी हो रही है। मामला दतिया जिले में हुई एक टीआई की पोस्टिंग का है। यहां से विधायक नरोत्तम मिश्रा प्रदेश के गृहमंत्री (Narottam Mishra) भी है।

जिले के एक थाने में टीआई की पोस्टिंग को लेकर पुलिस मुख्यालय को भी क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। यहां बैठे अफसर मैदानी कर्मचारियों की बहुत बारीकी (Datiya Police Ke Kisse) से मॉनिटरिंग करते हैं। यह मॉनिटरिंग कैसी है यह पोस्टिंग ने उजागर कर दी है। जिस थाने की कमान जिन निरीक्षक महोदय को सौंपी गई है उनके खिलाफ कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। यह वारंट जारी होते ही उनको वहां तैनात कर दिया गया। विवाद पुलिस और वकील के बीच हुई हाथापाई से जुड़ा है। इसलिए वकीलों की एक लॉबी इस पोस्टिंग को लेकर अदालत में पहुंचने की तैयारी कर रही है।
भिंड के बाद बैतूल में बवाल
भिंड में एसपी के ड्रायवर से शुरु हुई कार्रवाई के किस्से हर कोई जानता है। यहां अवैध रेत खनन के चलते एक दर्जन से अधिक पुलिस अफसरों को हटाया गया। इस “तबादला तूफान” में एडीजी, एसपी से लेकर ​कमिश्नर और कलेक्टर भी चपेट में आ गए। कुछ ऐसा ही बवाल बैतूल (Betul Police Ke Kisse) में मचा है। यहां भी रेत का कारोबार है जो महाराष्ट्र तक फैला है। यहां पिछले दिनों एसपी के तबादले को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। पूरा मामला आईजी के दरबार में भी पहुंच गया है। एसपी पर आरोप लग रहे हैं कि जिस थाने में पहले से सीनियर एसआई तैनात है वहां जूनियर को कमान सौंप दी गई है। वहीं जिले में कुछ राजनीतिक आकाओ ने एसपी से अपेक्षा की थी। वह पूरी नहीं हुई तो राजनीतिक लॉबी भी पोस्टिंग को लेकर भोपाल पहुंच गई है।
डीआईजी ने जिसे हटाया उसको किसने बसाया? 
भिंड में एसपी के ड्राइवर के किस्से की ही तरह भोपाल में एक थाने के टीआई के ड्राइवर की कहानियां मैदानी कर्मचारी एक—दूसरे के कान में बता रहे हैं। यह ड्राइवर काफी विवादित चाल चलन का रहा है। इसलिए एक बार डीआईजी ने उसको थाने से लाइन में बैठा दिया था। ड्रायवर कमजोर नहीं निकला और उसने ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि फिर वह उसी जगह पर आ गया। जबकि ऐसा नियमों के अनुसार संभव नहीं हैं। इन्हीं बातों को लेकर अब कानाफूसी हो रही है कि कमजोर कौन हो रहा है और कौन ताकतवर। इन दोनों बातों की बहस के बीच ड्रायवर का पुराना कारोबार शुरु हो गया है। उसका पुराना नेटवर्क फिर एक्टिव हो गया है।
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