शराब तस्करों पर नकेल कसने गए थाना प्रभारी को लगा तगड़ा झटका
भोपाल। (Bhopal Police Gossip) पूरे मध्य प्रदेश में लॉक डाउन के दौरान शराब माफियाओं ने जमकर चांदी काटी। खासतौर पर उन लोगों ने जो रेड जोन वाले शहरों से सटे थे। इसमें उन लोगों के ज्यादा वारे—न्यारे हुए जो तख्तापलट के बाद सक्रिय हुए हैं। इसका फायदा उठाकर उन लोगों के यहां छापे भी पड़े जो तख्तापलट से पहले सक्रिय हुआ करते थे। कारोबारियों ने भी समझ लिया कि एक तालाब में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं लिया जा सकता। इसलिए अपने यहां का माल कम मार्जिन में सक्रिय माफिया को सौंपा जाने लगा। नहीं मिलने से कुछ ही मिलना सही। इस गठजोड़ में पुलिस का साथ जरुरी था। लेकिन, रेड जोन के एक इंस्पेक्टर ने लहरों से अलग गोता लगाने का प्रयास किया।
इस प्रयास में वह अपना रेड जोन छोड़कर वहां पहुंच गए जहां से सप्लाई हो रही थी। बड़ी मशक्कत हुई और बात आला अफसरों तक पहुंच गई। इसके बाद इंस्पेक्टर को उल्टे पैर वापस आना पड़ा। उनके आने के बाद इंस्पेक्टर को एक शोकाज नोटिस थमा दिया गया। इंस्पेक्टर को उस नोटिस का तोड़ भी अफसरों ने भी बता दिया। यह इंस्पेक्टर उस तोड़ की जुगत में सरगर्मी से लग गए हैं। हालांकि इस पूरे एपिसोड में एक सिपाही को जरुर बलि का बकरा बना दिया गया। मामला एक राजनीतिक पार्टी से सीधा जुड़ा था। इसलिए यह किसी अखबार या चैनल में समाचार भी नहीं बन सका।
मैडम का रथ छीना तो कोप भवन पहुंची
राजधानी के एक थाने का यह बेहद रोचक किस्सा है। यहां लॉक डाउन के चलते किराए पर वाहन लिया गया है। जिसमें लाउड स्पीकर लगाकर लोगों को समझाया जा रहा था। उनका नाम पुकार करके कॉलोनियों में ऐसे आगाह किया जाता था जैसा फिल्मों में दिखाए जाने वाले सीन जिसमें सेना किसी दूसरी सल्तनत में हमला करने जाने की जानकारी दिया करते थे। मैडम इलाके में सक्रिय थी लेकिन उस इलाके में ज्यादा जहां थाने का ही स्टाफ रहता है। वहां जाकर मैडम ज्यादा धमाचौकड़ी मचाती थी। डांटना—फटकारना और लताड़ना। यह खींज थाने की भीतरी राजनीति के कारण कम—ज्यादा उन इलाकों में होती थी। यह बात अफसरों को बताई गई तो मैडम को रथ से नीचे उतार दिया गया। फिर क्या आपा ने अपना आपा खो दिया और घर जाकर बैठ गई। अब मैडम दो सप्ताह से किसी का भी फोन नहीं उठा रही। थाने के सभी कर्मचारी परेशान है कि आखिरकार मैडम किस कोप भवन में चली गई।
गले में कस रहा फंदा
पिछले दिनों एक कांस्टेबल ने सुसाइड कर लिया। उसके साथ पुलिस महकमे के सारे अफसरों की संवेदनाएं हैं। कई तो बार—बार फोन लगाकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं। इसके अलावा वे अफसरों को उसके पुराने दिनों की ड्यूटी बताकर उसके अच्छे—अच्छे किस्से बता रहे हैं। अब आप सोच रहे हैं कि इसमें हैरानी वाला बात क्या, तो फिर हम आपको बता दे जो ऐसा कर रहे हैं उनकी जान खुद फंदे पर फंस गई है। दरअसल, जिस सिपाही ने आत्महत्या की थी वह गैरहाजिर चल रहा था। इस कारण उसके निधन के बाद कसीदे गढ़ने वाले कर्मचारी उसको फोन लगाकर नौकरी जाने और घर बैठने जैसी चिंताओं और उदाहरणों को बताकर आगाह कियसा करते थे। यह बात मोबाइल कॉल डिटेल में सामने आ सकती है इस बात का भय कसीदे गढ़ने वाले कर्मचारियों को सता रहा है। उन्हें पता है कि विभागीय जांच में वह पल उनके सामने जरुर आएगा। इसलिए तब बाउंसर को झेलने के लिए बल्लेबाज कर्मचारी पिच का लैवल मिलाने में अभी से जुट गए हैं।
अपील
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