नेताओं के घर लग रही लाइन, कार्यकर्ताओं को ही पर्ची दिए जाने के आरोप, भोपाल कलेक्टर और एसडीएम ने चुप्पी साधी, सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो
भोपाल। (Bhopal Ration Distribution Negligence) बुजुर्गो की कहावत है अंधा बांटे रेवड़ी अपने—अपने को दे। कुछ ऐसी ही कहावत भोपाल में इन दिनों चरितार्थ हो रही है। ऐसा नहीं है कि इस हकीकत से सरकारी सिस्टम वाकिफ न हो। लेकिन, मामला राजनीतिक दल (Bhopal BJP News) से जुड़ा है इसलिए आंखों में पट्टी बांधना अफसर जरुरी समझ रहे हैं। उसके पास इस बात को लेकर कोई जवाब ही नहीं है। लेकिन, इस अनदेखी का खामियाजा वह गरीब परिवार (Bhopal Lock Down Poor Family Report) भोग रहा है जो पिछले एक महीने से लॉक डाउन के चलते परेशान (Bhopal Lock Down Effect) है। लॉक डाउन ने एक तो रोजगार छीनकर उसको घर बैठा दिया दूसरा अब उसके घर का राशन खत्म (Bhopal Lock Down Ground Report) हो गया। लोगों से कर्ज लेकर कुछ दिन तो घर चला लिया लेकिन अब उनकी हिम्मत ने जवाब दे दिया है।
यह सारा हाल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Lock Down Ground Report) की राजधानी भोपाल का है। वह राजधानी जहां सारी नीतियां और सिस्टम चलाने वाले लोग बैठते हैं। इस अव्यवस्थाओं का शिकार सबसे ज्यादा गरीब विस्थापित परिवार (Madhya Pradesh Migrant Family) हुआ है जो रोजगार की तलाश में भोपाल तो आ गया पर अब वही शहर उसको काटने के लिए दौड़ रहा है। बात हो रही है सरकार के उस राशन की जो सभी वर्ग के लोगों को बांटा जाना था। इस राशन को लेकर कई शिकायतें मिल रही थी। लेकिन, शनिवार दोपहर उसके प्रमाण के साथ वीडियो भी वायरल होने लगे। यहां दर्जनों लोग एक भाजपा नेत्री के घर के बाहर डेरा जमाए थे इस आस में कि वे पर्ची लिखेंगी (BJP Leader Supply Government Ration) तो उन्हें राशन मिल जाएगा। आरोप है कि ऐसा कई परिवारों के साथ नहीं हुआ। पर्ची उन्हें ही मिली जो उनके पार्टी का कार्यकर्ता था या फिर उनका करीबी।
जानिए सरकार क्यों नहीं बांटने दे रही राशन
भोपाल शहर में राशन वितरण को लेकर कई जगहों से समाचार गूंज रहे हैं। लोग सोशल मीडिया में नाम और नंबर पोस्ट करके परिवार को मदद पहुंचाने की अपील भी कर रहे हैं। कोलार में भी एक परिवार ने अपील की थी। इसी तरह गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से भी लोगों ने अपील की। जिसके बाद प्रशासन के अफसरों ने फोन करके कुछ सामग्री उपलब्ध कराई। जब राशन वितरण का हाल भोपाल में ऐसा है तो प्रदेश के दूरस्थ अंचलों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। राशन वितरण में कई अशासकीय संस्था (Bhopal NGO) भी सहयोग कर रही है। लेकिन, उन संस्थाओं को सरकार या प्रशासन लॉक डाउन में परिस्थितियां बिगड़ने का खौफ दिखाकर कुछ करने नहीं देना चाहता। नाम न छापने की शर्त में एक संस्था की महिला कार्यकर्ता ने बताया कि इसकी वजह यह है कि उससे सरकार और सिस्टम की कलई खुल जाएगी। महिला सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि हमें कई इलाकों से इस बात की सूचनाएं मिल रहे है। हमारे पास इतना भारी भरकम बजट भी नहीं है। इसलिए लोगों से चंदा लेकर जितना भी सहयोग गरीबों को कर सकते हैं वह कर रहे है। जिन इलाकों में राशन नहीं बंटने या फिर सरकार की तरफ से कोई नुमांइदा नहीं पहुंचने की जानकारी सामने आ रही है वह अवधपुरी, बरखेड़ा पठानी, गोविंदपुरा, गांधी नगर, अयोध्या नगर, करोद, निशातपुरा समेत कई अन्य छोटी गरीब बस्तियां है।
यह है मैदानी हकीकत
गोविंदपुरा के रहवासियों ने बताया कि इलाके में नेताओं ने कुछ लोगों को राशन बांटा बाद में वह चले गए। इलाके में सर्वे करने भी कोई नहीं आया। इस बात की शिकायत विधायक कृष्णा गौर (BJP Leader Krishna Gour) से मोबाइल पर भी की गई। लेकिन, उन्होंने कोई जवाब तक नहीं दिया। इसलिए अशासकीय संस्था से मदद लेकर कुछ दिन काम चलाया जा सका। अवधपुरी इलाके में रहने वाले किशोरी लाल (Kishori Lal) ने बताया कि वे मूलत: छतरपुर के रहने वाले हैं। यहां किराए के मकान के अलावा उनके पास कोई सबूत नहीं। किससे राशन मांगते इसलिए खेतों में जाकर हार्वेस्टर की कटाई के बाद बची हुई बालियां बीनकर कुछ दिन काम चलाया। यही हाल बीडीए कॉलोनी में फुल्की बेचने वाले बुंदेला परिवार का भी है। उसके सामने अब कोई विकल्प नहीं बचा। लोगों से कर्ज लेकर वह काम चला रहा है। आस—पास के लोगों ने राहत तो दे दी है लेकिन, उसको चुकाने का भी बोझ उसको काफी चुभता है। यहां रहने वाले लोगों ने सामाजिक संस्था से मदद मांगी थी। एक पखवाड़े पहले पांच किलो आटा और दो किलो चावल देकर चले गए। पति—पत्नी और दो बच्चों वाले परिवार में यह राशन बमुश्किल एक सप्ताह तक चल सका। उसके बाद किसी ने भी सुध नहीं लिया। हालांकि दिग्विजय सिंह (Digvijay SinGh) की रसोई से इन परिवारों को जरुर कॉल आया था। फोन करने वाले व्यक्ति ने परिवारों को आनंद नगर बुलाया था जो उनके घर से चार किलोमीटर दूर है। लॉक डाउन में पकड़े जाने पर पुलिसिया केस का खौफ भी है। इसलिए कोई वहां पर भोजन के पैकेट लेने नहीं गया।
अवधपुरी इलाके में ड्राइवर पृथ्वी परिवार के साथ रहते है। वे एक निजी कंपनी की कार चलाते है। कंपनी की माली हालत ठीक नहीं चल रही है। इसलिए जनवरी की सैलरी उसको मार्च में मिली। वह किसी काम से 17 मार्च को दिल्ली (Delhi) चला गया था। वहां से लौटकर आया तो जनता कर्फ्यू और फिर उसके बाद लॉक डाउन हो गया। पत्नी सिलाई करके थोड़ा महंगाई में उसका हाथ बंटा देती है। पृथ्वी की दो बेटियां है। उसके सामने सरकार और सरकारी सिस्टम ने बड़ी ही बाधा उत्पन्न कर दी। वह घर से बाहर नहीं निकल सकते। कॉलोनी में उन्हें लोग शक की नजर से देखते है। दरअसल, दिल्ली से वे रिजर्वेशन से लौटे थे। एक दिन लॉक डाउन के बाद उनके पास फोन आया और प्रशासन की टीम ने उनके घर के बाहर कोविड—19 का पर्चा चस्पा कर दिया। मध्यम वर्गीय और गरीब पृथ्वी के परिवार पर क्या गुजर रही है इसकी फिक्र या खबर सरकार या उसके सिस्टम ने कभी भी नहीं ली। बस फोन करके यह जरुर पूछते रहे कि कोरोना वायरस के कोई लक्षण तो दिखाई नहीं दे रहे। पृथ्वी की तरह ही अशोक कुमार यादव (Ashok Kumar Yadav) है। उन्हें एक दुकान रहने के लिए बिल्डर ने दी है। उसके पास भी कोई पहचान के लिए कागजात नहीं हैं। उसकी सुध लेने भी कोई नहीं आया। लोगों का आरोप है कि भोपाल में जब यह हालात है तो ग्रामीण अंचलों की स्थिति सोचकर ही गरीब परेशान हो जाता है।
इधर समाज का ऐसा भी चेहरा
एक तरफ लोग बालियां बीनकर पेट पाल रहे हैं। सबसे बुरी हालत छोटे कारोबारियों की है। कमल सेन (Kamal Sen) जो कि सागर (Sagar) के रहने वाले हैं। वह एक सैलून में काम करते है। सैलून लॉक डाउन के चलते बंद है। इसलिए वह चोरी छुपे कैची और शैविंग किट लेकर सुबह से निकल जाते हैं। वे गरीब बस्ती में जा—जाकर कटिंग करके एक टाइम का राशन और बच्चों के दूध के लिए पैसा जुटा पा रहे हैं। इधर, शनिवार को भाजपा नेता सीता रघुवंशी (Seeta Raghuvanshi) के घर के बाहर दर्जनों लोग एक पर्ची के लिए डेरा जमाए थे। सीता रघुवंशी (BJP Leader Seeta Raghuvanshi) भोपाल के नरेला विधानसभा से आती है। वह भाजपा में महिला विंग में उपाध्यक्ष हैं। शनिवार को उनके घर के वीडियो वायरल हुए जिसमें लोग कह रहे थे कि उनके यहां से पर्ची मिलने के बाद ही राशन मिलेगा। लेकिन, लोगों का आरोप था कि वह पर्चियां उन्हीं को दी जा रही है जो उनका करीबी है या फिर भाजपा का कार्यकर्ता। इन बयानों और बातचीत को लेकर तीन वीडियो भी वायरल हुए। (द क्राइम इंफो डॉट कॉम) www.thecrimeinfo.com के पास वह सारे वीडियो मौजूद हैं। इस वीडियो में उनकी पहचान उजागर भी हो रही है। भीड़ में अधिकांश महिलाएं थीं। इसके अलावा पुरुष और युवा भी पर्ची मिलने के कतार में खड़े थे।
महिला ऩेत्री बोली पार्टी से कोई लेना—देना नहीं
इस मामले में भाजपा नेत्री सीता रघुवंशी (Narela BJP Seeta Raghuvanshi) से संपर्क किया गया। उन्होंने कहा मैं जनप्रतिनिधि हूं। समाज सेवा कई साल से कर रही हूं। यह उनके दुश्मन दुष्प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा जो वीडियो में दिख रहा है वह पूरा सच नहीं हैं। रघुवंशी ने बताया कि वीडियो उन्होंने भी देखा है। मैं जो राशन दे रही हूं वह सरकारी नहीं है। मैंने सोसायटी की मदद से राशन जुटाकर जरुरमंदों को बांट रही थी। इस दौरान कुछ ऐसे भी लोग आ गए जिनके पास राशन कार्ड थे। राशन कार्ड वालों को सरकार की तरफ से तीन महीने का राशन दिया जा रहा है। जब उनसे सवाल पूछा गया कि वीडियो में कई परिवार यह भी कह रहे है कि उन्हें राशन कार्ड होने के बावजूद राशन नहीं मिला तो उन्होंने कहा उनके विधानसभा क्षेत्र में विधायक विश्वास सारंग (BJP Leader Vishwash Sarang) काफी सक्रिय है। वे लोगों को राहत पहुंचाने में कोई देरी नहीं करते हैं। कई बार मैंने भी मदद मांगी तो उन्होंने सहायता की है। सीता रघुवंशी ने दावा किया कि शनिवार को वह जो पर्ची बांट रही थी उसका भाजपा से कोई लेना—देना नहीं था।
इस मामले में लोगों के आरोप सुनने के बाद सीता रघुवंशी से बात की गई। वहीं नरेला से विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी रहे और कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह चौहान (Congress Leader Mahendra Singh Chouhan) से भी प्रतिक्रिया ली गई। उन्होंने कहा जो वीडियो देखकर आप बात कर रहे हैं वह बिलकुल सही है। नरेला विधानसभा में कार्यकर्ताओं को चिन्हित करके राशन दिया जा रहा है। चौहान ने दावा किया कि भोपाल में कई अन्य विधानसभा भी है लेकिन शिकायत वहां से क्यों आ रही है। चौहान ने दावा किया इस संदर्भ में मेरी तरफ से प्रशासन से शिकायत की गई है। लेकिन, वहां भाजपा का विधायक होने के चलते हमारी शिकायतों पर अफसरों ने संज्ञान में नहीं लिया। आरोपों को लेकर गोविंदपुरा संभाग के एसडीएम मनोज वर्मा (SDM Manoj Verma) से भी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई। उनके दो नंबर www.thecrimeinfo.com (द क्राइम इंफो डॉट कॉम) को प्राप्त हुए। दोनों नंबर पर पूरी घंटी गई लेकिन उठाया नहीं गया। इसके बाद पूरे मामले की जानकारी देकर दोनों मोबाइल नंबर पर मैसेज भेजा गया। उसका भी जवाब एसडीएम नहीं दे सके। इस मामले में कलेक्टर तरुण पिथोड़े (Bhopal Collector Tarun Pithore) को भी फोन लगाया गया था जो दूसरे नंबर पर डायवर्ट था जिसके कनेक्ट होते ही वह गलत बताया जाने लगा।
फांसी लगाकर जान दी थी
भोपाल में राशन वितरण में धांधली के आरोपों को लेकर कोई बातचीत करने के लिए सामने नहीं आया है। लेकिन, खबरें बता रही है कि भीतर ही भीतर इस अव्यवस्था की चिंगारी विकराल रुप धारण कर सकती है। गरीब जनता लॉक डाउन की बेड़ियों में कब तक बंधी रहेगी। जिस दिन यह समाप्त हुआ उस दिन कई छुपी हुई कहानियां सामने आने वाली है। हालांकि पिछले दिनों एक कहानी सामने भी आई थी। जिसके बाद कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद (Arif Masood) पीड़ित परिवार के घर पहुंचे थे। निशातपुरा इलाके में पिछले दिनों अनिल अहिरवार (Anil Ahirwar Suicide Case) नाम के एक व्यक्ति ने खुदकुशी कर लिया था। उसकी दो बेटियां थी और वह कई दिनों से परेशान चल रहा था। पुलिस का कहना था कि वह कर्ज ले चुका था। इस बीच लॉक डाउन ने उसके सामने संकट खड़ा किया था। पृथ्वी, किशोरी, कमल सेन समेत कई गरीब परिवारों की कहानियां है जो सिस्टम की कलई खोलती है। यह शहर से ज्यादा दूर नहीं हैं लेकिन, अफसर इनसे जरुर दूर है। जिन इलाकों में यह रहते हैं वहां कोरोना संक्रमण का केंद्र भी नहीं है।
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