Covid—19: 1.70 लाख करोड़ रुपए का कागजी राहत पैकेज

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने घोषणा तो की लेकिन पात्र और अपात्र के सवालों की नहीं दी जानकारी

Delhi Covid 19
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली। (Coronavirus Effect News) देश जनता कर्फ्यू फिर 21 दिन के लॉक डाउन में चला गया है। इस कारण कई परिवारों पर रोजी—रोटी के साथ भोजन का संकट खड़ा हो गया है। जैसे ही इस विषय पर सवाल खड़े होने लगे तो देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) और राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) राहत पैकेज के साथ मीडिया के सामने आ गए। प्रधानमंत्री के नाम पर अन्न, धन, उज्जवला, गरीब कल्याण से लेकर कई अन्य यह बनाए गए हैं। सिलसिलेवार हिंदी—अंग्रेजी में इसे बताते हुए सरकार ने 1 . 70 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज बताया गया। हालांकि जिस तरीके से बताया गया वह कागजी ज्यादा प्रतीत हो रहा है। मुफ्त गैस, अनाज से लेकर आर्थिक मदद की सरकार ने घोषणा की है।

पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitaraman) ने बताया कि डॉक्टर, पैरा मेडिकल, आशा कार्यकर्ता समेत कई अन्य मेडिकल सेक्टर के कर्मचारियों को 50 लाख रुपए का बीमा किया जा रहा है। यह फैसला सरकार ने इसलिए लिया है क्योंकि यह लोग कोरोना के असर को जानते हुए भी सेवा में जुटे हैं। ऐसे कर्मचारियों की संख्या 20 लाख होने का दावा किया गया है। दोनों केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत तीन महीने तक पांच किलो आटा—चावल मुफ्त दिया जाएगा। इसी तरह एक किलो मूंग, तुअर और उड़द तीनों दाल में से एक कोई सी मांग के अनुसार एक किलो मुफ्त में दी जाएगी। इसी तरह किसानों के खाते में दो हजार रुपए तीन महीने तक दिए जाएंगे। इसका फायदा 8 लाख 70 हजार किसानों को मिलेगा। केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि मनरेगा स्कीम के तहत मजदूरी 202 रुपए मिलेगी। पहले यह मजदूरी 182 रुपए थी। वृद्ध,दिव्यांग और विधवा महिला को एक हजार रुपए अतिरिक्त मिलेगा। इससे 3 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। यह रकम सीधे खाते में जाएगी। जनधन योजना के तहत महिलाओं के खुले खातों में सरकार 500 रुपए प्रतिमाह तीन महीने तक देगी। उज्जवला योजना के तहत जिन्होंने गैस कनेक्शन लिए हैं उन्हें तीन महीने तक मुफ्त में गैस मिलेगी। ऐसे लाभार्थियों की संख्या 8 करोड़ होने का दावा मंत्रियों ने किया है।

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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 63 लाख स्वयं सहायता समूहों को अब 10 की बजाय 20 लाख रुपए तक का लोन मिलेगा। इससे करीब 7 कऱोड़ परिवार को लाभ मिलेगा। सरकार ने घोषणा की है कि असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की जमा की जाने वाली रकम सरकार जमा करेगी। यह नियोक्ता की तरफ से 12 तो कर्मचारी की तरफ से इतनी ही फीसदी की राशि जमा की जाती है। इसमें सरकार ने शर्त रखी है कि इसके लिए वह कंपनियां पात्र होगी जिसकी संख्या 100 से अधिक कर्मचारियों वाली नहीं होनी चाहिए। सरकार ने दावा किया है कि इस फैसले से 4 लाख कंपनियों के 80 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। निर्माण क्षेत्र के लिए काम करने वाले साढ़े तीन करोड़ मजदूरों के लिए सरकार ने 31 हजार करोड़ रुपए का राहत पैकेज दिया है। राहत पैकेज में देरी के सवाल खड़े होने के पहले ही निर्मला सीतारमण ने कहा कि लॉक डाउन के आदेश 24—25 मार्च की दरमियानी रात 12 बजे से हुए थे। इसलिए लगभग 36 घंटे बाद सरकार ने यह राहत पैकेज बना लिया है। जबकि इस घोषणा के पहले ही 22 मार्च को भी जनता कर्फ्यू के नाम पर देशभर में लॉक डाउन एक दिन के लिए किया गया था।

करोड़ों परिवार पर भोजन का खतरा

सरकार ने जो घोषणाएं की है वह स्वागत योग्य है। लेकिन, वह मैदान में कितना फायदा देगी यह तीन महीने बाद पता चल ही जाएगा। लेकिन, सरकार के इस फैसले से लगभग 15 फीसदी आबादी को ही लाभ मिल सकेगा। बाकी 85 फीसदी परिवारों को लेकर सरकार फैसला ले ही नहीं सकी है। कई ऐसे असंगठित क्षेत्र है जिनके सामने लॉक डाउन के कारण भोजन का संकट खड़ा हो गया है। यह कहते हुए अनिल सेन ने बताया कि उसके परिवार को सरकार ने सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। अनिल सेन सैलून की दुकान चलाते हैं। उनका कारोबार 22 मार्च से लगभग पूरी तरह से बंद हैं। एक महीने तक कोई कारोबार नहीं चलेगा। इसके बावजूद उसको दुकान का किराया देना होगा। उसके यहां दो कर्मचारी भी काम करते है जिन्हें वह कुछ नहीं दे सकता। इन तीनों का परिवार किसी भी श्रेणी में नहीं आता है।

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बैंकिंग सेक्टर में खामोशी

कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदम की तारीफ की है। लेकिन, एक परिवार राजनीतिक दलों की इस जुगलबंदी को जनता के लिए ठगने और बोझ देने वाला फैसला बता रहा है। सरकार ने लॉक डाउन की आड़ में कई परिवारों के जीविकोपार्जन पर संकट खड़ा कर दिया है। जिसमें भरत जगलोनिया (Bharat Jagloniya) का परिवार भी संकट हैं। वे किसी तरह की श्रेणी में नहीं आते। वे बीपीएल परिवार से नहीं जुड़े हैं। उनका कॉस्मैटिक आयटम का कारोबार है। मार्केट में उतार चढ़ाव की वजह से कारोबार पहले ही ठप्प है। इस बीच लॉक डाउन के फैसले ने उन्हें कर्ज के बोझ में दबा दिया। यहां सुनीता पांडे (Sunita Pandey) ने देना बैंक से हाउसिंग लोन लिया था। पति का स्वयं का बिजनेस है। वह लगभग शट डाउन चल रहा है। इस बीच लॉक डाउन के फैसले ने उसके सामने बैंक की किस्त जमा करने का खतरा खड़ा कर दिया है। इसको लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया। कई कारखानों में मालिकों ने अपने कर्मचारियों को बाहर कर दिया है। अब सरकार किसको यह पैकेज दे रही हैं यह बात भविष्य में सामने आएगी।

अपील

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