हार को जीत में बदलतीं मैना और सुनैना
भोपाल। International Women’s Day अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के खास मौके पर द क्राइम इन्फो आपके सामने कुछ ऐसे उदाहरण पेश कर रहा है, जो बताते है कि महिलाएं, पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ही नहीं, उनसे कहीं ज्यादा विषम परिस्थितियों में भी जीने और जीतने का जिगर रखतीं है। गरीब हो या गर्भवती, वो कभी हार नहीं मानती। तमाम मुश्किलों में भी महिलाएं अपना कर्म करतीं है। रिश्तों को प्रेम से निभाना महिलाओं को ही आता है। यहीं वजह है कि ममता, करुणा जैसे शब्द हमेशा महिलाओं को सुशोभित करते आए है।
हर दिन जोड़ देती है जिंदगी का पंचर
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में रहने वाली मैना सोलंकी पंचर की दुकान चलातीं है। बड़े-बड़े ट्रकों के पंचर बनाकर वो रोजमर्रा के लिए पैसे जुटाती हैं। ट्रक का टायर खोलती 45 वर्षीय मैना सोलंकी को देखकर हर कोई अचरज से भर जाता है। पंचर बनाने का काम करना आसान बात नहीं, क्यों कि बड़े वाहनों का टायर खोलने में ही बहुत ताकत लगती है। मैना सोलंकी की मजबूरी ने उन्हें ये मुश्किल काम करने के लिए विवश किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। मैना के पिता भी पंचर बनाने का काम करते थे। पिता की मौत के बाद मैना की मां उसके साथ रहने लगी। लेकिन मैना के पति की भी मौत हो गई।
जिसके बाद मैना अपनी मां और तीन बेटियों को लेकर मायके वाले घर लौट आई। उसने अपने पिता की दुकान को फिर से शुरु किया और अंधेरी जिंदगी में रोशनी भरने के लिए दिन-रात मेहनत शुरु कर दी। हिम्मत का काम करने के लिए मैना ने शर्ट-पेंट पहनना शुरु किया। मैना कहती है कि वो कभी नहीं सोचती कि वो एक महिला है। उसने अपनी बेटियों को पढ़ाया, दो बेटियों की शादी भी कर दी। लेकिन अब उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तो सरकार को मैना की मदद करनी चाहिए।
नक्सलियों से लोहा लेती सुनैना
छत्तीसगढ़ के घोर नक्सली इलाके दंतेवाड़ा में महिला बटालियन खूंखार नक्सलियों से लोहा लेने के लिए हमेशा तैयार रहती है। इस महिला बटालियन को सरकार ने दंतेश्वरी लड़ाके नाम दिया है। जवानों के साथ महिला कमांडों भी पूरी मुश्तैदी से तैनात रहती है। दंतेश्वरी लड़ाकों में से ही एक है सुनैना। जो 8 महीने की गर्भवती है। गर्भवती होने के बाद भी वो अपने कर्तव्य का निर्वहन पूरी ईमानदारी से कर रही है। वो जवानों के साथ सर्चिंग पर भी जाती है। दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि सुनैना का एक बार गर्भपात भी हो चुका है। सर्चिंग के दौरान सुनैना के साथ ऐसी घटना हो चुकी है। लेकिन उसके बाद भी सुनैना ने हिम्मत नहीं हारी। वो गर्भवती है, लेकिन ड्यूटी पर तैनात है।
ऑटो चलाती है संगीता और सुष्मिता
पटना के एयरपोर्ट के बाहर ऑटो रिक्शा चलाती संगीता और सुष्मिता कुमारी को देखा जा सकता है। वो कहतीं है कि समस्याओं का हल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लिहाजा वो मेहनत से नहीं डरती। जीवनयापन के लिए वो ऑटो चलाती है। सरकारों को भी महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता प्रदान करनी चाहिए।